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नई दिल्लीः MGNREGA: केंद्र सरकार का पूर्ण बजट आने वाला है. इससे पहले तमाम मजदूर संगठन सरकार से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (MGNREGA) के तहत न्यूनतम वेतन और काम के दिन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि मजदूर संघ अपनी मांगों को लेकर सरकार को अवगत करा चुके हैं लेकिन पहली बार मजदूरों को दिहाड़ी के एक हिस्से में रुपये की जगह चावल देने की योजना बनाई जा रही है. हाल ही में मिंट में छपी एक रिपोर्ट में दो अधिकारियों के हवाले से यह दावा किया जा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते अन्न भंडार और ग्रामीण संकट के कारण सरकार सरकार मजदूरों को आंशिक भुगतान के रूप में चावल दे सकती है. नाम न जाहिर करने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत खाद्य विभाग ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से मजदूरी के आंशिक भुगतान के लिए अतिरिक्त चावल देने पर विचार करने का अनुरोध किया है.
इनमें से एक अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव पर अभी भी चर्चा चल रही है और सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है.
दरअसल केंद्र सरकार ने पिछले साल कीमतों पर अंकुश लगाने और चावल की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए थे. इनमें जुलाई में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध, उबले चावल पर 20% निर्यात शुल्क और अगस्त में बासमती चावल के निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य शामिल है. इन कदमों की वजह से सरकार के पास अब चावल का स्टॉक बढ़कर 14 मिलियन टन हो गया है. ऐसे में इसकी भंडारण लागत भी बढ़ गई है.
अधिकारी ने बताया, मनरेगा में काम के बदले खाना देने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है जिससे चावल के बढ़े हुए स्टॉक को कम भी किया जा सकेगा.
अधिकारी ने बताया कि हम चावन को मनरेगा मजदूरों के उनके वेतन के एक हिस्से के रूप में दे सकते हैं. जैसे अगर वे हफ्ते में सात दिन काम करते हैं तो कुछ दिनों के लिए उन्हें मजदूरी के रूप में चावल दिया जा सकता है. इस पर फैसला होना बाकी है.
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