Gaza Ceasefire: हमास ने रखी ऐसी शर्त कि बिदक गया इजरायल, PIJ बोला- पहले....
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Gaza Ceasefire: हमास ने रखी ऐसी शर्त कि बिदक गया इजरायल, PIJ बोला- पहले....

Gaza Ceasefire: हमास द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दोनों संगठनों ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थों के माध्यम से चल रही शांति वार्ता, उसमें रखे गए प्रस्तावों और इजरायल की प्रतिक्रियाओं पर गंभीरता से चर्चा की.

Gaza Ceasefire: हमास ने रखी ऐसी शर्त कि बिदक गया इजरायल, PIJ बोला- पहले....

Gaza Ceasefire: गाजा में सीजफायर के लिए हमास और इजरायल के बीच बातचीत जारी है. इस बातचीत के बीच हमास और फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (PIJ) ने एक बड़ी शर्त रख दी है. गाजा के दोनों संगठनों ने कहा इजरायल के साथ चल रही इनडायरेक्ट का उद्देश्य सिर्फ गाजा में युद्ध समाप्त करना नहीं है, बल्कि गाजा पट्टी से इज़राइली सेना की पूर्ण वापसी सुनिश्चित करना है, सभी बॉर्डर चौकियां खोले जाए और पुनर्निर्माण कार्य शुरू करना होना चाहिए.

यह टिप्पणी दोनों संगठनों के नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद आई, जिसके स्थान का अभी खुलासा नहीं किया गया है. हमास के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शूरा काउंसिल के प्रमुख मुहम्मद दरवेश ने किया, जबकि पीआईजे का नेतृत्व महासचिव ज़ियाद अल-नखला ने किया.

हमास ने क्या कहा?
हमास द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दोनों संगठनों ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थों के माध्यम से चल रही शांति वार्ता, उसमें रखे गए प्रस्तावों और इजरायल की प्रतिक्रियाओं पर गंभीरता से चर्चा की. बयान में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि किसी भी संभावित समझौते में फ़िलिस्तीनी लोगों की आकांक्षाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. विशेष रूप से, युद्ध का अंत, जिसके कारण गाजा में एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हुआ है और बड़ी संख्या में नागरिक मारे गए हैं, एक आवश्यक कदम है.

इन मुद्दों पर दोनों में नहीं बन पा रही है बात
जराए के मुताबिक, कतर की राजधानी दोहा में इजरायल और हमास के बीच चल रही वार्ता अब एक जटिल और निर्णायक चरण में पहुंच गई है. हमास के एक सीनियर सूत्र ने कहा कि इजरायली पक्ष का अड़ियल रवैया वार्ता में बाधा डाल रहा है और यह वार्ता को विफल कर सकता है. बातचीत में मुख्य बाधा "वापसी मानचित्र" को लेकर है.

हमास का अल्टीमेटम
हमास का कहना है कि पहले चरण में इजरायली सेना को जनवरी 2024 की स्थिति में वापस लौटना चाहिए और अंतिम समझौते में गाज़ा से सैनिकों की पूरी तरह वापसी की गारंटी होनी चाहिए. दोनों संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक इज़राइल गाज़ा से पूरी तरह से वापस नहीं लौट जाता और फ़िलिस्तीनी अधिकारों को मान्यता नहीं देता, तब तक कोई भी शांति समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा.

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