Mumbai News: मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाकों के मामले में रिहा हुए आसिफ बशीर ने जांच एजेंसी पर गंभीर इल्जाम लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार के प्रेशर में आकर उन्होंने हम लोगों को गिरफ्तार किया.
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Mumbai News: मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाकों के सभी 12 आरोपियों को हाई कोर्ट ने रिहा कर दिया है. इनमें जलगांव शहर के शिरसोली नाका इलाके के निवासी आसिफ बशीर खान भी शामिल हैं, जो मंगलवार, 22 जुलाई की रात पुणे जेल से रिहा होने के बाद रात करीब 9 बजे अपने घर पहुंचे.
अगले दिन आसिफ खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "जांच एजेंसी ने सरकार के दबाव में हमें झूठे आरोपों में फंसाया. कोई ठोस जांच नहीं की गई. अधिकारी हमसे कहते थे कि सरकार हम पर दबाव बना रही है."
उन्होंने कहा, "सरकार के इसी दबाव के चलते एक एसीपी विनोद भट्ट ने आत्महत्या कर ली थी, वह इस मामले के जांच अधिकारी थे. बाद में हमें समझ आया कि सरकार की बदनामी हो रही है, इसलिए हमें फंसाया गया."
गौरतलब है कि 21 जुलाई (सोमवार) की सुबह बॉम्बे हाईकोर्ट की एक विशेष पीठ ने विशेष मकोका अदालत के फैसले को पलटते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाकों के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था.
पेशे से इंजीनियर आसिफ बशीर खान पर लोकल ट्रेन में बम रखने का आरोप था. आरोपों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "जब बम धमाके हुए, तब मैं लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स (मुंबई के अंधेरी इलाके में स्थित) स्थित अपनी कंपनी के दफ़्तर में था. मेरा फ़ोन भी वहीं था, लेकिन पुलिस ने ये सबूत अदालत में पेश नहीं किए."
क्या वह हाईकोर्ट के फ़ैसले से खुश हैं? इस पर आसिफ कहते हैं, "मैं इस फ़ैसले से तो खुश हूं, लेकिन मुझे और भी ज़्यादा खुशी होती अगर इस मामले में जान गंवाने वाले बेगुनाह लोगों को भी इंसाफ़ मिलता और जांच एजेंसी असली गुनहगारों के चेहरे सामने लाती. जिस तरह इन धमाकों के पीड़ित इस मामले के पीड़ित हैं, उसी तरह हम भी इस मामले के पीड़ित हैं."
एक सवाल के जवाब में वे कहते हैं, "मेरे जेल जाने की सज़ा मेरे परिवार को भी भुगतनी पड़ी. मेरे पिता कैंसर से गुज़र गए. मेरी मां भी कई बीमारियों से ग्रस्त रहीं. जब हमें गिरफ़्तार किया गया, तो लोगों को पता ही नहीं चला कि हमें झूठे आरोपों में फंसाया गया है."
याद रहे कि आसिफ खान पर कुल तीन मामलों में शामिल होने का आरोप था, जिनमें से एक 2006 का ट्रेन बम विस्फोट, दूसरा 2006 का मालेगांव बम विस्फोट और तीसरा प्रतिबंधित संगठन सिमी से उसका जुड़ाव था. तीनों ही मामलों में उसे बरी कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार, सिमी मामले में उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने 13 जुलाई, 2020 को फैसला सुनाया था। ट्रेन बम विस्फोटों में भी फैसला 21 जुलाई, 2025 को आया है। हालाँकि, मालेगांव मामले में फैसला अप्रैल में आया था.
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