Mumbai Train Blast: मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में 12 आरोपियों के रिहा होने के बाद कांग्रेस लीडर वर्षा गायकवाड़ ने एक बयान दिया. जिस पर काफी बवाल हो रहा है. पढ़ें पूरी खबर
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Mumbai Train Blast: अभी कुछ समय पहले ही मुसलमानों ने कतारों में खड़े होकर कांग्रेस उम्मीदवार वर्षा गायकवाड़ को एकतरफ़ा वोट देकर संसद में जिताया था. यही वर्षा गायकवाड़ ट्रेन बम धमाकों में 12 निर्दोष मुस्लिम युवकों की रिहाई से इतनी नाराज़ हैं कि उन्होंने तुरंत एक बयान जारी कर कहा कि सरकार को हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. क्योंकि इन (12 अभियुक्तों) का अपराध अक्षम्य है. उनके इस बयान पर मुस्लिम संगठनों ने नराजगी जाहिर की है
उनके इस बयान को लेकर मुस्लिम संगठनों और नेताओं में काफ़ी नाराज़गी है. पूर्व कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई ने कहा है कि वर्षा गायकवाड़ ने अदालत का फ़ैसला पढ़े बिना ही ऐसा भड़काऊ बयान दिया है, जिसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए. दलवई का कहना है कि पुलिस ने 45,500 पन्नों की चार्जशीट पेश की थी, लेकिन एक भी पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई. उन्होंने कहा कि वर्षा गायकवाड़ को 19 साल से जेल में बंद इन उत्पीड़ित लोगों की पीड़ा के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए थी.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद मौलाना ओबैदुल्लाह खान आज़मी ने कहा कि वर्षा गायकवाड़ मुसलमानों के एहसानों को भूलकर उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम कर रही हैं. पिछले चुनाव में मुसलमानों ने उनका दिल खोलकर समर्थन किया था, लेकिन बम विस्फोट मामले में बाइज़्ज़त बरी होने के बाद मुस्लिम युवकों का अपने घरों में स्वागत करने के बजाय, उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की सलाह देकर एहसान भुला दिया है.
मौलाना ओबैदुल्लाह खान ने मुसलमानों को सलाह दी कि वे इस संबंध में संविधान द्वारा उन्हें दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करें और वर्षा का घेराव करें और उनसे माफ़ी मांगने की मांग करें. उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों को कम से कम अपना विरोध दर्ज कराकर अपनी नाराज़गी तो ज़ाहिर करनी चाहिए.
इस्लाम जिमखाना के अध्यक्ष एडवोकेट यूसुफ अब्राहानी ने कहा कि वर्षा गायकवाड़ ने अदालत के फैसले को समझे बिना ऐसा बयान देकर मुस्लिम विरोधी भावना का परिचय दिया है, जो उनकी भगवा मानसिकता को दर्शाता है.
इश्तियाक खान (अल-अंसार फाउंडेशन) ने कहा कि वर्षा का बयान आरएसएस प्रवक्ता जैसा है. हालांकि वह मुसलमानों के वोटों से जीती हैं, उन्हें अपने मतदाताओं का भी ध्यान रखना चाहिए था, क्योंकि अदालत ने इन युवकों की बेगुनाही स्वीकार कर ली है. इसलिए, वर्षा को महाराष्ट्र सरकार से अपने 19 सालों का हिसाब और सभी को मुआवज़ा देने की माँग करनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा कि वर्षा गायकवाड़ के जरिए सरकार को अपील करने का सुझाव वास्तव में उन मुसलमानों के साथ विश्वासघात है, जिन्होंने उन पर भरोसा किया और उन्हें वोट दिया. मुसलमानों के वोटों से जीतने वाली कांग्रेस सांसद, मुस्लिम युवकों की सम्मानजनक रिहाई के अदालती फैसले का स्वागत करने के बजाय, सरकार को उसके खिलाफ अपील दायर करने की सलाह दे रही हैं, जो मुसलमानों के साथ विश्वासघात है.