Syed Zillur Rahman: पद्मश्री हकीम प्रो. सैयद जिल्लुर रहमान को राष्ट्रपति भवन में 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर विशेष भोज का आमंत्रण मिला है. यह आमंत्रण भारत की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा हुआ है और उनके जीवन की उपलब्धियों, यूनानी चिकित्सा और अलीगढ़ का गौरव बढ़ाने वाला क्षण है. पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
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Syed Zillur Rahman: भारत की राष्ट्रपति ने अलीगढ़ के फेमस यूनानी डॉक्टर पद्मश्री हकीम प्रो. सैयद जिल्लुर रहमान को 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष भोज के लिए आमंत्रित किया है. यह आमंत्रण पत्र डाक विभाग के माध्यम से उनके निवास पर पहुंचा. पत्र प्राप्त होते ही परिवार सहित क्षेत्रवासियों में गर्व और खुशी की लहर दौड़ गई.
हकीम जिल्लुर रहमान ने इस आमंत्रण को अपने जीवन का गौरवपूर्ण क्षण बताया. उन्होंने कहा कि इतने वर्षों में सैकड़ों निमंत्रण पत्र आए, लेकिन इस आमंत्रण का भावनात्मक महत्व सबसे विशेष है. उन्होंने यह भी बताया कि वे अपने बेटे के साथ राष्ट्रपति भवन जरूर जाएंगे.
इस आमंत्रण पत्र की विशेषता यह है कि इसे बिहार की पारंपरिक 'सिक्की घास' से बनाया गया है. इसमें मिथिला, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल की प्राचीन लोक कलाओं की झलक दिखाई देती है. कार्ड के साथ भेजा गया सारा सामान हैंडमेड है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है.
हकीम साहब के बेटे और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फार्माकोलॉजी विभाग के सदर प्रो. सैयद जियाउर रहमान ने भी इस आमंत्रण पत्र की भव्यता की सराहना की. उन्होंने इसे अब तक का सबसे आकर्षक और अनोखा आमंत्रण बताया.
हकीम प्रो. सैयद जिल्लुर रहमान को 2006 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उन्होंने एएमयू के तिब्बिया कॉलेज में 40 वर्षों तक सेवा दी है. वे इब्न सीना अकादमी ऑफ मीडिवल मेडिसिन एंड साइंसेज़ के संस्थापक हैं और यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में 45 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं.
उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार मिल चुके हैं. इनमें राष्ट्रपति द्वारा फारसी भाषा सेवा सम्मान (1995), यश भारती पुरस्कार (2014-15), उर्दू अकादमी अवॉर्ड (तीन बार), और आयुर्वेदिक व तिब्बी अवॉर्ड (1968) प्रमुख हैं.