Mumbai Train Blast: 12 मुसलमानों के रिहा होने पर क्या कांग्रेस मांगेगी माफ़ी?
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Mumbai Train Blast: 12 मुसलमानों के रिहा होने पर क्या कांग्रेस मांगेगी माफ़ी?

JUH on Mumbai Blast Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में दोषी ठहराए गए 12 मुस्लिम नौजवानों को बेकसूर करार दिया है. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कांग्रेस से माफी मांगने की मांग की है और सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की अपील के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया है. 

 

मौलाना काब रशीदी- फाइल फोटो
मौलाना काब रशीदी- फाइल फोटो

Maharashtra News Today: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते दिनों ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस फैसले में हाईकोर्ट ने साल 2006 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में दोषी ठहराए गए सभी 12 मुस्लिम नौजवानों को बेकसूर करार दिया है. इस फैसले के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद ने तत्कालीन कांग्रेस की अगुवाई केंद्र और राज्य सरकार से पीड़ित मुसलमानों से माफी मांगने को कहा है.

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि इन बेकसूर मुसलमानों को गलत तरीके से आतंकवाद के केस में फंसाया गया और 19 साल तक जेल में रहने की कीमत चुकानी पड़ी. जमीयत के कानूनी सलाहकार मौलाना सैयद काब रशीदी ने मीडिया से कहा, "कांग्रेस सरकार को मुस्लिम समुदाय से माफी मांगनी चाहिए. उनकी गलत नीतियों की वजह से 12 मुसलमानों को जुल्म, टॉर्चर और इंसाफ से महरूम रहना पड़ा. उनके परिवार तबाह हो गए, उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई. ये सिर्फ कानून की नाकामी नहीं बल्कि संविधान और नैतिकता की भी हार है.”

'मुस्लिमों को बगैर सुबूत के बताया आतंकी'

मौलाना सैयद काब रशीदी ने इसे "आजाद भारत का ऐतिहासिक पल" करार दिया. उन्होंने आगे कहा कि जब तक झूठे केस बनाने वाले अधिकारियों को सजा नहीं मिलती है, तब तक इंसाफ अधूरा है. काब रशीदी ने कहा, "2006 में ब्लास्ट के बाद एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया. मुसलमानों को बिना पुख्ता सबूतों के आतंकवादी बताया गया. अब हाईकोर्ट ने अभियोजन के दावों को खारिज कर उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है."

मौलाना रशीदी ने इस लड़ाई का क्रेडिट जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी को दिया, जिन्होंने लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ी. उन्होंने कहा, "यह सच्चाई और सब्र की जीत है, लेकिन अब जिम्मेदारों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है. सिर्फ बरी कर देना काफी नहीं, जिन्होंने इन बेगुनाहों की जिंदगी बर्बाद की, उन्हें सजा मिलनी चाहिए."

जमीयत उलमा-ए-हिंद के कानूनी सलाहकार ने कहा, "कांग्रेस के शासनकाल में शुरू हुई मुसलमानों को अपराधी दिखाने की धारणा आज भी कायम है." उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "आप खुद को सेक्युलर पार्टी कहते हैं. गांधी की विरासत को लेकर चलने का दावा करते हैं, लेकिन बेगुनाह मुसलमानों को जेल में डालते हैं. यह पूरी व्यवस्था, जांच एजेंसियों और सियासी सोच की नाकामी है."

सुप्रीम कोर्ट में करेंगे मदद

जमीयत के महाराष्ट्र अध्यक्ष मौलाना हलीमुल्लाह कासमी ने कहा कि यह फैसला उन परिवारों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जिनके बेटे 19 साल से जेल में थे. उन्होंने कहा, "यह फैसला भले ही देर से आया हो, लेकिन इससे लोगों का न्यायपालिका पर भरोसा मजबूत हुआ है." हालांकि उन्होंने चेतावनी भी दी कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसकी सुनवाई 24 जुलाई को होगी.

मौलाना हलीमुल्लाह कासमी ने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो हम दोबारा इन लोगों को कानूनी मदद देंगे, जैसा हमने ट्रायल कोर्ट में किया था. हमारी लड़ाई इंसाफ के लिए है, सियासत के लिए नहीं है."

क्या है मामला?

बता दें, 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के अंदर सात बम धमाके हुए थे. जांच में पता चला कि इन बमों को प्रेशर कुकर में रखा गया था और बैग में छिपाया गया था. सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया था कि यह धमाके पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने किए थे. इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने कई मुस्लिम नौजवानों को गिरफ्तार किया था. 

महाराष्ट्र की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने इस मामले में महाराष्ट्र के संगठित अपराध नियंत्रण कानून (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप लगाए थे. अभियोजन ने गवाहों की बात, कथित सबूत और संदिग्ध जानकारी पर जोर दिया था, ल किन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन सबूतों को पर्याप्त नहीं माना. अब महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 24 जुलाई को अपील दायर की है. सभी की नजरें इस बात पर लगी हैं कि क्या यह फैसला बरकरार रहेगा या फिर बदला जाएगा.

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