India-Pakistan Talk: पहलगाम हमले के बाद भारत की सख्ती और एक साथ कई मोर्चों पर घेरने के बाद पाकिस्तान ने भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाने की पहल शुरू कर दी है. इसके लिए पाकिस्तान ने भारत को सऊदी अरब में वार्ता के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही है, लेकिन इसके साथ ही इस वार्ता में अमेरिका को मध्यस्थ बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिसे भारत ने ख़ारिज कर दिया है.
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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 10 सालों से सिफारती रिश्तों को छोड़कर हर तरह की द्विपक्षीय बातचीत और आपसी कारोबार बंद है. इस बीच दोनों मुल्कों के बीच रिश्ते सुधरने के बाजए पुलवामा और बालकोट हमले के बाद और बिगड़ गए. पिछले माह की 22 तारीख को पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के बीच की तल्खियों में मजीद इजाफा ही हुआ है. इस हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए न सिर्फ पाकिस्तान में घुसकर दहशतगर्द ठिकानों पर हमले किये बल्कि पाकिस्तान के साथ नदियों के पानी के बंटवारे के करार को भी तोड़ दिया है.
इसके बाद पाकिस्तान ने सिन्धु जल संधि को बहाल करने और द्विपक्षीय बातचीत करने की पहल भी शुरू कर दी है. यानी इसे माना जा सकता है कि भारत की सख्ती और कई मोर्चों पर उसे घेरने के बाद पाकिस्तान घुटनों के बल आ गया है. लेकिन पाकिस्तान अब इस मुजाकरात में आमेरिका को एक हथियार के तौर पर शामिल करना चाहता है, जो भारत को कभी कबूल नहीं होगा.
भारत का एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा
गौरतलब है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ का ये बयान ऐसे वक़्त पर आया है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दहशतगर्दी के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दोहराते हुए कहा है कि जब तक पाकिस्तान कश्मीर पर अपना गौर- कानूनी कब्जा नहीं छोड़ता, तब तक उसके साथ कोई बातचीत या कारोबार नहीं होगा. अगर पाकिस्तान आतंकवादियों का एक्सपोर्ट जारी रखता है, तो उसे एक-एक पैसे के लिए भीख मांगनी पड़ेगी और उसे भारत का एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा."
रफ्ता- रफ्ता कम हो रही है कशीदगी
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 22 मई को भारत के साथ बातचीत के लिए सऊदी अरब का नाम प्रस्तावित किया है. इस्लामाबाद में सहाफियों से बात करते हुए शरीफ ने कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) सतह पर होगी. बातचीत का एजेंडा कश्मीर, नदियों का पानी, दहशतगर्दी और कारोबार पर मारकूज होगा." शहबाज ने इस बात की जानिब भी इशारा किया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों के दरमियान कशीदगी रफ्ता- रफ्ता कम हो रही है, क्योंकि दोनों मुल्कों के सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) एक-दूसरे के साथ बातचीत कर रहे हैं.
शाहबाज़ ने कहा, "अगर दोनों कट्टर हरीफों के बीच बातचीत होती है, तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस प्रोसेस में पाकिस्तान की रहनुमाई करेंगे. इसके लिए सऊदी अरब एक गैर- जानिबदार मुकाम हो सकता है, जहां अमेरिका इसकी रहनुमाई कर सकता है. हालांकि, भारत ने अब तक बातचीत के लिए किसी भी गैर- जानिबदार मुकाम पर अपनी रजामंदी नहीं दी है."
भारत-पाकिस्तान के बीच सिर्फ द्विपक्षीय संबंध होने चाहिए: विदेश मंत्रालय
इधर, विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी संबंध द्विपक्षीय होना चाहिए, जिसमें तीसरे फरीक की भागीदारी शामिल नहीं हो. जुमेरात को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बात पर भी रोशनी डाली कि जम्मू-कश्मीर पर कोई भी "द्विपक्षीय चर्चा" सिर्फ "पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करने" पर ही होगी. जायसवाल ने यह भी कहा कि भारत उन कुख्यात आतंकवादियों को भारत को सौंपने पर चर्चा करने के लिए तैयार है, जिनकी सूची कुछ वर्ष पहले पाकिस्तान को प्रदान की गई थी."
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