Bilquies Shah Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की पत्नी बिलकिस शाह की मनी लॉन्ड्रिंग केस रद्द करने की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया. अगली सुनवाई 26 सितंबर को असलम वानी की याचिका के साथ होगी.
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Bilquies Shah Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की पत्नी बिलकिस शाह की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है. उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज धन शोधन के मामले को रद्द करने की मांग की है. जस्टिस संजीव नरूला ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले की सुनवाई 26 सितंबर को मोहम्मद असलम वानी की याचिका के साथ होगी.
बिलकिस शाह की तरफ से अधिवक्ता एम.एस. खान पेश हुए. उन्होंने अधिवक्ता कौसर खान के माध्यम से धन शोधन के मामले को रद्द करने के लिए याचिका दायर की है. ईडी ने 2021 में उनके खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था. यह मामला 2007 में दर्ज किया गया था. इसमें शब्बीर अहमद शाह और मोहम्मद असलम वानी भी आरोपी हैं.
गौरतलब है कि 2021 में सह-आरोपी बिलकिस शाह के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी और तब से यह मामला उनके खिलाफ आरोपों पर बहस के लिए लंबित है. आगे जिक्र किया गया है कि 15 नवंबर, 2017 को सह-आरोपी मोहम्मद असलम वानी और अन्य सह-आरोपी शब्बीर शाह के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट, नई दिल्ली द्वारा आरोप तय किए गए थे. इसके बाद, मामले को अभियोजन साक्ष्य के लिए रखा गया था और आज तक पहली शिकायत में 33 गवाहों में से केवल चार गवाहों की जांच की गई है, याचिका में कहा गया है.
यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता बिलकिस शाह को वर्तमान मामले में कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था और उनके खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र बिना गिरफ्तारी के दायर किया गया था. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की भूमिका यह है कि उसने अपने पति, सह-आरोपी शब्बीर शाह के साथ मिलकर सह-आरोपी मोहम्मद असलम वानी से 2.08 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की.
असलम वानी ने PM (PMLA) की धारा 50 के तहत दिए गए अपने बयानों में कहा था कि पूरी रकम नकद में थी, और ये पैसे शब्बीर अहमद शाह को और तीन बार याचिकाकर्ता (बिलकीस शाह) को दिए गए थे. लेकिन अब जो याचिका दायर की गई है, उसमें कहा गया है कि वर्तमान में यह मामला 21 दिसंबर 2021 से अदालत में लंबित है, और याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप तय करने पर बहस को लगभग 25 दिन हो चुके हैं, फिर भी कोर्ट ने अभी तक कोई फैसला नहीं दिया है.
याचिका में ये भी कहा गया है कि असलम वानी ने जो बयान दिए, उनमें बिलकीस शाह का सीधा नाम नहीं है, और PMLA की धारा 50 के तहत जो बयान दर्ज होते हैं, उनकी कानूनी वैल्यू सीमित होती है. जब तक कि उन्हें स्वतंत्र साक्ष्य (जैसे गवाह या दस्तावेज़) से साबित न कर दिया जाए. साथ ही, याचिका में यह भी कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला तभी बनता है, जब किसी अपराध से कमाया गया पैसा हो और उसे छिपाया या इस्तेमाल किया गया हो.