Indian Railways: रेल मंत्री ने बताया कि IIT मद्रास को इस प्रोजेक्ट के लिए पहले दो बार 1 मिलियन डॉलर (करीब 9 करोड़) की ग्रांट मिल चुकी है. अब तीसरी बार इसके लिए फिर से एक मिलियन डॉलर की मदद दी जाएगी.
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Indian Railways Plan For Hyperloop Track: देश में हाइपरलूप ट्रैक के जरिये 1100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए हाल ही में आईआईटी मद्रास (IIT Madras) और भारतीय रेलवे के सहयोग से 422 मीटर लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक (Hyperloop Test Track) सफलतापूर्वक तैयार किया गया है. इसका वीडियो खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया था. इस उपलब्धि के बाद सरकार अब 50 किलोमीटर का कमर्शियल हाइपरलूप कॉरिडोर (commercial hyperloop corridor) बनाने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने इस बारे में जानकारी दी और कहा कि यह दुनिया का सबसे लंबा हाइपरलूप ट्रैक हो सकता है.
9 करोड़ की ग्रांट पहले ही दी जा चुकी
रेल मंत्री ने बताया कि IIT मद्रास को इस प्रोजेक्ट के लिए पहले दो बार 1 मिलियन डॉलर (करीब 9 करोड़) की ग्रांट मिल चुकी है. अब तीसरी बार इसके लिए फिर से एक मिलियन डॉलर की मदद दी जाएगी. इससे हाइपरलूप प्रोजेक्ट को और बेहतर तरीके से डेवलप किया जा सकेगा. उन्होंने यह भी कहा कि जब हाइपरलूप ट्रैक का प्री-कमर्शियल मॉडल पूरी तरह तैयार हो जाएगा तो रेलवे अपने सिस्टम के अंदर पहला कमर्शियल प्रोजेक्ट शुरू करेगा. वैष्णव ने आईआईटी मद्रास की तरफ से एशिया की पहले ग्लोब हाइपरलूप कंप्टीशन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा हम एक सही जगह का चयन करेंगे, जहां 40-50 किमी की लंबाई वाला हाइपरलूप कॉरिडोर बनाया जाएगा.
क्या है हाइपरलूप ट्रैक?
हाइपरलूप ट्रैक एक तरह का हाईटेक ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम है, जिसमें कम दबाव वाली ट्यूब में ज्यादा तेज गति से पॉड्स से यात्रा की जा सकेगी. इस सिस्टम में 1,200 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति हासिल की जा सकती है. यदि यह तकनीक सफल होती है तो इससे दो शहरों के बीच यात्रा का समय काफी हद तक कम हो सकता है. इससे पारंपरिक रेलवे और हवाई सफर का एक बेहतर विकल्प मिल सकता है. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि दिल्ली से मुंबई का सफर इसके जरिये सवा से डेढ़ घंटे का रह जाएगा.
दिसंबर 2024 में पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पूरा किया
टीओआई की खबर के अनुसार भारतीय रेलवे इस तकनीक की उपयोगिता के बारे में सही आइडिया लेने के लिए एक कमर्शियल टेस्ट ट्रैक तैयार करेगा. दिसंबर 2024 में IIT मद्रास की तरफ से पहला सफल हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पूरा किया गया. यह आने वाले समय में इस तकनीक को विकसित करने का आधार बनेगा. हाइपरलूप ट्रैक का कॉन्सेप्ट सबसे पहले 1970 के दशक में स्विस प्रोफेसर मार्सेल जफर ने दिया था. 1992 में स्विसमेट्रो SA नामक कंपनी इस प्रोजेक्ट के लिए बनाई गई, लेकिन 2009 में इसे बंद कर दिया गया.
कई कंपनियां हाइपरलूप टेक्निक पर काम कर रहीं
दुनियाभर में कई कंपनियां हाइपरलूप टेक्निक पर काम कर रही हैं. इनमें वर्जिन हाइपरलूप अमेरिका के नेवादा में अपने सिस्टम का परीक्षण कर रही है. कनाडा की ट्रांसपॉड कंपनी भी अपने डिजाइन को मान्यता दिलाने के लिए एक टेस्ट ट्रैक तैयार कर रही है. रेल मंत्रालय के आधिकारिक बयान के अनुसार, IIT मद्रास और भारतीय रेलवे हाइपरलूप ट्रैक के अलावा वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग व्हीकल्स (जो बिना रनवे के उड़ान भर सकते हैं) पर भी मिलकर काम करेंगे.