ISRO: इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने दशकों पुराने भारत को याद किया और कहा कि एक समय वो भी था जब इसरो ने अमेरिका से एक छोटा रॉकेट हासिल किया था. अब भारतीय जमीन से अमेरिकी उपग्रह लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है.
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Satellite Launch India: एक वक्त वो भी था जब दुनिया के मुकाबले भारत के पास आधुनिक सैटेलाइट नहीं होती थी. हालांकि तब भी भारत का जज्बा सातवें आसमान पर रहता था. कुछ कर गुजरने की ललक वही रहती थी जो आज है. भारत ने बदलते हुए साल के साथ हर क्षेत्र में खुद को काफी ज्यादा बदला है. इसे याद करते हुए इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि एक वक्त वो भी था जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 60 साल पहले अमेरिका से एक छोटा रॉकेट हासिल किया था पर अब भारतीय जमीन से अमेरिकी उपग्रह लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है.
इसरो लॉन्च करेगा सैटेलाइट
चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि कुछ ही महीनों में इसरो 6,500 किलोग्राम का एक अमेरिकी संचार उपग्रह लॉन्च करेगा. यह मिशन 30 जुलाई को जीएसएलवी-एफ 16 रॉकेट पर नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) मिशन के ऐतिहासिक लॉन्चिंग के बाद होगा. यह भारत देश की एक महत्वपूर्ण प्रगति है.
शुरुआती दिनों को किया याद
इसके पहले इसरो की शुरुआत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना 1963 में हुई थी. उस दौरान भारत देश उन्नत देशों से छह से सात साल पीछे था. उसी साल संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को एक छोटा रॉकेट दान किया, जिसने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हुई. साथ ही साथ 1975 को याद करते हुए कहा कि इसरो ने अमेरिकी डेटा की मदद से भारतीय राज्यों के 2,400 गांवों में 2,400 टेलीविज़न सेट स्थापित करके जन संचार का प्रदर्शन किया था.
निसार को भी किया याद
आगे बोलते हुए उन्होंने 30 जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम निसार के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताया. यह दुनिया का सबसे महंगा उपग्रह है. इसमें अमेरिका से एल बैंड एसएआर पेलोड और इसरो से एस बैंड पेलोड था और हम आज उन्नत देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. 50 साल पहले इसरो के पास सैटेलाइट टेक्नोलॉजी नहीं थी लेकर अब इसरो ने अपने रॉकेटों से 34 देशों के 433 उपग्रह लॉन्च किए हैं. यह भारत और भारत के लिए एक सुखद अनुभूति है.
F&Q
सवाल- निसार सैटेलाइट की लॉन्चिंग कब हुई थी?
जवाब- निसार सैटेलाइट की लॉन्चिंग 30 जुलाई 2025 को हुई थी. इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था.