Operation Sindoor Karachi Port: आप किसी फौजी से पूछेंगे कि सबसे बड़ी तमन्ना तो वह कहेगा कि देश के लिए लड़ने का मौका. ऑपरेशन सिंदूर के समय सेना और एयरफोर्स ने वो पराक्रम दिखाया भी लेकिन नौसेना को मौका नहीं मिल पाया. वैसे ब्रह्मोस को कराची पोर्ट पर हमले के लिए लॉक कर दिया गया था. हालांकि बाद में पीएम ने जो कहा, वह नौसेना के लिए बड़ा मैसेज था.
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ऑपरेशन सिंदूर के समय भारत और पाकिस्तान में सीजफायर की घोषणा होने के बाद से विपक्षी दल भले ही 'प्रेशर' वाला सवाल उठा रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है तब पीएम नरेंद्र मोदी ने भी देश के एक टॉप अफसर से कुछ कहा था. यह एक तरह की सांत्वना या कहिए कि मौका न मिलने का अफसोस था जिसके लिए फौजी हमेशा तैयार रहते हैं. दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर में थल सेना और वायुसेना को तो अपना पराक्रम दिखाने का मौका मिला लेकिन नेवी का एक्शन देखने को नहीं मिला. जबकि सच्चाई यह है कि भारतीय नौसेना भी कराची पोर्ट पर ब्रह्मोस मिसाइल दागने के लिए तैयार बैठी थी. ऐसे में जब संघर्षविराम हुआ तो पीएम ने नौसेना प्रमुख से कहा था- हमने आपके मुंह से निवाला छीन लिया, आपको मौका फिर मिलेगा. कुछ देर पहले ही नौसेना को ब्रह्मोस लॉन्च करने से रोक दिया गया था.
उस समय तैयारी किस स्तर पर थी, इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि देश तैयार था कि कराची पर अटैक के बाद पाकिस्तान ने जवाब दिया तो उससे कैसे निपटना है. यह भी आशंका जताई गई थी कि कराची पर हमले से बौखलाया पाकिस्तान पीएम के गृह राज्य गुजरात पर मिसाइल हमला कर सकता है. फिर भी पीएम ने तीनों सेना प्रमुखों को पूरी छूट दे रखी थी.
कराची को तबाह करने की थी तैयारी
HT की रिपोर्ट के मुताबिक जो कोई भी एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह, जनरल उपेंद्र द्विवेदी या एडमिरल दिनेश त्रिपाठी को जानता है, उसे पता है कि वे सभी गैर-राजनीतिक हैं, फिर भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में राजनीतिक नेतृत्व के सामने अपनी बात कहने में नहीं हिचकिचाते. ACM सिंह एक बहादुर फाइटर पायलट हैं. वे इस बात की परवाह नहीं करते कि उनके बिंदास रवैये से राजनीतिक नेतृत्व खुश होगा या नाराज. जनरल द्विवेदी अपने सैनिकों के साथ सबसे सहज महसूस करते हैं. वह कुछ हद तक शर्मीले हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर अपनी बात पर अड़े रहते हैं. एडमिरल त्रिपाठी बेहद निडर इंसान हैं. उन्हें अपनी नौसेना की घातक शक्ति पर पूरा विश्वास है और वही 10 मई की सुबह कराची बंदरगाह को तबाह करने के लिए तैयार थे, कुछ देर बाद पाकिस्तानी डीजीएमओ ने शांति की अपील कर दी.
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मोदी ने नौसेना चीफ की तरफ देखा और...
राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने पूरी रणनीति बना रखी थी. एक्शन के बाद भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जनरल द्विवेदी और एसीएम सिंह को बधाई दी थी. इसके बाद उन्होंने एडमिरल त्रिपाठी की ओर देखते हुए 'मुंह से निवाला छीनने' वाली बात कही थी. तब तक भारतीय नौसेना को ब्रह्मोस प्लान से पीछे हटने के लिए कहा जा चुका था.
वायुसेना प्रमुख ने कुछ घंटे पहले 7-10 मई के संघर्ष के दौरान जो बातें बताई हैं, वो ठोस सबूतों पर आधारित हैं. वैसे तो पाकिस्तान के कमांड नेटवर्क, एफ-16 प्लेन और बहुत सी ताकत खंडहर बन चुकी है. यही समझ लीजिए कि भारतीय सेना के गोले और घातक ड्रोन का डर इतना था कि पाकिस्तानी सैनिक नियंत्रण रेखा के पास अपनी चौकियां छोड़कर भाग गए थे. भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई शुरू हुई तो पाकिस्तान को अपनी सेना के कीमती सामानों को ईरान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर ले जाना पड़ा. अगर लड़ाई थोड़ा और चलती तो पाकिस्तानी नौसेना का शायद ही कोई जहाज या पनडुब्बी भारतीय बेड़े का मुकाबला करने के लिए समंदर में टिका रहता. भारत का आखिरी ब्रह्मोस अटैक 10 मई को दोपहर में भोलारी एयरबेस पर हुआ था. इसके बाद भारत का लक्ष्य पूरा हो गया.
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