Anil Ambani Biggest Deal: साल 2008 का दौर था, जब इस कंपनी के शेयर 2500 रुपये के करीब पर कारोबार करते थे. इसके शेयर खरीदने के लिए लोग हर दांव खेलते थे, लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि शेयर धड़ाम हो गए. कंपनी कर्ज के बोझ में ऐसी फंसी की दिवालिया होने के के कगार पर पहुंच गई. दिवालिया मामला भी चला.
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Anil Ambani Reliance Infra: साल 2008 का दौर था, जब इस कंपनी के शेयर 2500 रुपये के करीब पर कारोबार करते थे. इसके शेयर खरीदने के लिए लोग हर दांव खेलते थे, लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि शेयर धड़ाम हो गए. कंपनी कर्ज के बोझ में ऐसी फंसी की दिवालिया होने के के कगार पर पहुंच गई. दिवालिया मामला भी चला. आर्थिक संकटों में फंसी ये कंपनी शून्य पर पहुंच गई. इस कंपनी को कभी बर्बादी की मिसाल माना जाता था. कंपनी का कर्ज बढ़कर ₹930000000 तक पहुंच गया था. कंपनी के शेयर 2500 रुपये से टूटकर 218 रुपये पर पहुंच गए. लेकिन अब सीन बदल गया है. अब उसी कंपनी को ताबड़तोड़ आर्डर मिल रहे हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी कंपनी को एक के बाद एक नए ऑर्डर मिल रहे हैं. पढ़ें-अनिल अंबानी के फिरने लगे दिन, जिसने कभी दफ्तर था कब्जाया, उसे ₹2730000000 देकर कंपनी को किया कर्ज फ्री, झूम उठे शेयर
कर्जा उतरते ही बदल गया सीन
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रा को बड़ा आर्डर मिला है. Reliance Infrastructure के सहायक कंपनी को 600 करोड़ रुपये का आर्डर मिला है. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड सपोर्टिव रिलायंस डिफेंस लिमिडेट ( Reliance Defence) को जर्मनी की कंपनी से छह करोड़ का आर्डर मिला है.जर्मनी की गोला-बारूद बनाने वाली दिग्गज कंपनी राइनमेटल वेके म्यूनिशन GMBH से 600 करोड़ रुपये का बड़ा आर्डर मिला है. कंपनी ने बुधवार को शेयर बाजार को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद रिलायंस इंफ्रा ( Reliance Infra) के शेयरों में बंपर उछाल देखने को मिला है. बता दें कि जर्मनी की कंपनी राइनमेटल ग्लोबल डिफेंस की बड़ी कंपनियों में से एक है. इस डील के साथ ही अनिल अंबानी की कंपनी के लिए लॉग टर्म में डिफेंस एक्सपोर्ट के लिए रास्ते खोल दिए हैं.
मिल रहे हैं आर्डर पर आर्डर
इससे पहले कंपनी को फ्रांस की दसॉल्ट कंपनी से फाल्कन जेट के आर्डर मिले थे. इस डील के तहत रिलायंस इंफ्रा को Falcon 2000 जेट भारत में बनाने और उन्हें बेचने का आर्डर मिला. इससे पहले रिलायंस इंफ्री की सहायक कंपनी रिलायंस डिफेंस को जर्मनी की कंपनी Diehl Defence से डील वल्केनो 155 मिमी प्रेसिजन गाइडेड म्यूनिशन बनाने का आर्डर मिला. ये एक खास तरह का गोला बारुद है, जो एकदम सटीक निशाने के लिए इस्तेमाल होता है. कपंनी को 50 अरब रुपये का एयरक्राफ्ट अपग्रेड प्रोग्राम की जिम्मेदारी मिली है. कंपनी महाराष्ट्र के रत्नागिरी में ग्रीनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी भी लगा रही है.जहां सालाना 2 लाख आर्टिलरी शेल, 10 हजार टन विस्फोटक और 2 हजार टन के प्रोपेलेंट बनाए जाएंगे. रिलायंस इंफ्रा को रक्षा मंत्रालय से भी 100 अरब रुपये के ऑर्डर मिल सकता है. कुल मिलाकर देखा जाए तो बीते एक सालों में अनिल अंबानी की इस कंपनी को ताबड़तोड़ डिफेंस डील और आर्डर मिल रहे हैं.
कर्जा उतरा तो चमकने लगे सितारे
कर्ज का बोझ कम होते ही रिलायंस इंफ्रा निवेशकों की आंखों का तारा सितारा बनने लगा है. जो कंपनी कभी करोड़ों के कर्ज में डूबी थी, बैंक ने NPA घोषित कर दिया था अब वो कर्ज मुक्त हो गई है. हाल ही में कंपनी ने यस बैंक को 273 करोड़ का कर्ज चुककार खुद को कर्ज मुक्त घोषित कर दिया है. कंपनी के कर्जमुक्त होती ही उसे नए ऑर्डर और निवेश मिलने लगे हैं और उसकी माली हालत सुधरने लगी है. FY25 में कंपनी को 4,938 करोड़ का नेट प्रॉफिट हुआ, जो बीते FY24 में यह 1,609 करोड़ रुपये था.कंपनी की उधारी भी घटकर जीरो पर पहुंत गई और उसका नेट वर्थ बढ़कर 14,287 करोड़ रुपये पर गया है. निवेशकों ने रिलायंस इंफ्रा में 300 करोड़ रुपये डाले हैं.
क्या करती है रिलायंस इंफ्रा
अनिल अंबानी की यह कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर फील्ड की कंपनी है. जो बिजली से लेकर सड़क, मेट्रो रेल, एयरपोर्ट्स और डिफेंस जैसे सेक्टरों में काम करती है. कंपनी इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन की बड़ी खिलाड़ी है.