भारत का व्‍यापार और न‍िवेश बढ़ाने के ल‍िए द्विपक्षीय संबंध अहम: न‍िर्मला सीतारमण
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भारत का व्‍यापार और न‍िवेश बढ़ाने के ल‍िए द्विपक्षीय संबंध अहम: न‍िर्मला सीतारमण

FM Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा क‍ि यह बहुत ही दिलचस्प लेकिन चुनौतीपूर्ण है. सरकार देश को आगे बढ़ाने व वैश्‍व‍िक वृद्धि का इंजन बनाने के लिए सभी प्रयास कर रही है. 

भारत का व्‍यापार और न‍िवेश बढ़ाने के ल‍िए द्विपक्षीय संबंध अहम: न‍िर्मला सीतारमण

Trade and Investment: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत को व्यापार व निवेश के लिए अपने द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने की जरूरत है. दुनियाभर में उथल- पुथल मची हुई है और द्विपक्षीय रिश्ते ही सबसे फायदेमंद जरिया प्रतीत होते हैं. वित्त मंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा क‍ि यह बहुत ही दिलचस्प लेकिन चुनौतीपूर्ण समय है और सरकार देश को आगे बढ़ाने व वैश्‍व‍िक वृद्धि का इंजन बनाने के लिए सभी प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, ‘द्विपक्षीय संबंध अब एजेंडा में टॉप पर है... हमें कई देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना है, न केवल व्यापार के लिए, न केवल निवेश के लिए, बल्कि रणनीतिक संबंधों के लिए भी. इसलिए बहुपक्षवाद... कुछ हद तक, मैं अब भी इसे ‘कुछ हद तक’ कह रही हूं... लेकिन द्विपक्षीय संबंध ही एकमात्र फायदेमंद हैं जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं.’

बहुपक्षीय संस्थाएं तेजी से लुप्त होती जा रही

वित्त मंत्री ने कहा कि बहुपक्षीय संस्थाएं तेजी से लुप्त होती जा रही हैं. उन्हें पुन: खड़ा करने और सक्रिय करने के प्रत्येक प्रयास से वांछित परिणाम नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘इसलिए, आपको ऐसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा जो आपके अपने देश से परे कई चीजों को प्रभावित करते हैं. आपके पास अब कोई ऐसा मंच नहीं बचा है जो प्रभावी ढंग से काम कर सके... बहुपक्षीय संस्थाएं और उनका योगदान शायद कम से कम निकट भविष्य में लुप्त होता दिख रहा है, जब तक कि उन्हें उस तरह की ऊर्जा के साथ फिर खड़ा करने का प्रयास नहीं किया जाता... यह अगले कुछ वर्षों में तो होने वाला नहीं है.’

ग्‍लोबल ट्रेड आज पूरी तरह से बदल रहा
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक व्यापार आज पूरी तरह से बदल रहा है और ‘जिन शर्तों और संदर्भों के साथ हम सभी व्यापार करते थे, वर्ल्‍ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन में ऐसा किसी प्रकार का सहारा (संस्था) अब उपलब्ध नहीं है.’ उन्होंने कहा कि कोई सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) की अवधारणा नहीं है. प्रत्येक देश चाहता है कि उसके साथ विशेष व्यवहार किया जाए. उन्होंने कहा, ‘यदि विश्व व्यापार संगठन कमजोर हो रहा है या बहुपक्षीय संस्थाएं प्रभावी नहीं रही हैं... तो व्यापार के संदर्भ में द्विपक्षीय व्यवस्थाएं ही दिन-प्रतिदिन की जरूरत बन जाएंगी.’

भारत मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहा
एक नई दुनिया की ओर बढ़ते कदम को देखते हुए, भारत ने ब्रिटेन सहित कई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता शुरू की है और अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते की योजना बना रहा है. भारत 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहा है. उन्होंने कहा कि नई वैश्विक व्यवस्था में भारत को व्यापार, निवेश व रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की जरूरत है.

सुधारों का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ऋण प्रबंधन और राजकोषीय विवेकशीलता बनाए रखने सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधार जारी रखेगी. उन्होंने कहा, ‘सुधार केवल केंद्र सरकार का एजेंडा नहीं हो सकता, इसे हर राज्य सरकार को गंभीरता से लेना होगा... मैं चाहती हूं कि राज्यों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो, जिसमें वे कह सकें कि हमारी अर्थव्यवस्था दूसरों से कहीं बेहतर है.’ 

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ज़ी न्यूज़ डेस्क

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