DNA Analysis: छत्तीसगढ़ के वक्फ बोर्ड ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्यभर की सभी मस्जिदों, मदरसा और दरगाह में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का निर्देश दिया है. वक्फ बोर्ड का कहना है कि सभी लोग स्वतंत्रता दिवस के महत्व को समझें और देशभक्ति, आपसी एकता और भाईचारे का परिचय दें.
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DNA Analysis: क्या मस्जिद में तिरंगा फहराना बकवास है? क्या मस्जिद में स्वतंत्रता दिवस मनाना बकवास है? 15 अगस्त की तैयारियों के बीच DNA में विश्लेषण की शुरुआत हमें ऐसे सवालों के साथ इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि हमारे देश में एक खास तबके को मस्जिद में तिरंगा फहराना बकवास लग रहा है. DNA मित्रों, तिरंगा हमारा राष्ट्र-ध्वज है. तिरंगा फहराना हमारा राष्ट्र-धर्म है. स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि पहले देश, फिर बाकी सब देश की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. यानी स्वामी विवेकानंद जैसे विद्वान के लिए धर्म से बड़ा राष्ट्रधर्म है.
लेकिन देश का एक वर्ग ऐसा है जो तिरंगा फहराने में भी धर्म देख रहा है. इस तबके को धर्मस्थल में तिरंगा फहराना बकवास लग रहा है. पहले आप ये बयान सुनिए. जिन्होंने ये बयान दिया है, उनका नाम तारिक अनवर है. तारिक अनवर कांग्रेस के बड़े नेता हैं. मंत्री भी रह चुके हैं. मस्जिद में तिरंगा फहराने का सुझाव सबसे ज्यादा इन्हें ही चुभा है. यहां हम, आपको ये जरूर बता देना चाहते हैं कि ये सुझाव किसी सरकार का नहीं है, ना ही प्रशासन का है. ये सुझाव है मुस्लिमों की बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले वक्फ बोर्ड का.
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— Zee News (@ZeeNews) August 13, 2025
छत्तीसगढ़ के वक्फ बोर्ड ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्यभर की सभी मस्जिदों, मदरसा और दरगाह में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का निर्देश दिया है. वक्फ बोर्ड का कहना है कि सभी लोग स्वतंत्रता दिवस के महत्व को समझें और देशभक्ति, आपसी एकता और भाईचारे का परिचय दें.
मित्रों, आचार्य चाणक्य ने कहा है. राष्ट्र का कल्याण ही शासन और व्यक्ति का सर्वोच्च कर्तव्य है. साधारण शब्दों में राष्ट्र सर्वोपरी है. चाहे वो शासक हों या सामन्य व्यक्ति. इसी भावना को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने राष्ट्रीय पर्व पर तिरंगा फहराने का नोटिस जारी किया है. वक्फ बोर्ड का उद्देश्य है कि देशवासी ये जताएं कि वो अपने देश से कितना प्यार करते हैं. लेकिन राष्ट्रभक्ति के भाव के प्रदर्शन वाली ये सलाह एक तबके को चुभ रही है. अधिकारों के लिए संविधान की बात करनेवाले इस वर्ग की बौद्धिक बेईमानी को समझिए. जैसे ही मस्जिद-मदरसे और दरगाह में राष्ट्रीय ध्वज फहराने को कहा गया ये वर्ग अपनी धार्मिक पहचान को लेकर सचेत हो गया.
इन्हें याद आ गया कि पहले ये धर्म विशेष के उपासक हैं और फिर भारत के नागरिक. जैसे ही राष्ट्रभक्ति की बात आती है ये तबका धर्म और परंपरा की दुहाई देना लगता है. जिन लोगों को मस्जिद में तिरंगा फहराना बकवास लग रहा है उनसे हम ये कहना चाहेंगे कि मस्जिद में तिरंगा फहराने की परंपरा भले ना हो, लेकिन शुरू तो की जा सकती है. कोई भी परंपरा एक न एक दिन तो शुरू होती है और इसके लिए राष्ट्रीय पर्व से अच्छा मौका क्या होगा?
DNA मित्रों, जाना आपने तारिक साहब खुद ही कह रहे हैं कि भावना होती है. देशप्रेम होता है तब आदमी तिरंगा फहराता है. अब तारिक अनवर के तर्क को ही आगे बढ़ाते हुए सोचिए. जो लोग तिरंगा फहराने से इनकार कर रहे हैं क्या उनके अंदर देशप्रेम की भावना नहीं है. जो राष्ट्रध्वज फहराने से इनकार कर रहे है क्या उनके अंदर राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना नहीं है.
हम आज तारिक अनवर और उनके जैसी सोच वालों से कहेंगे की उन्हें मोहम्मद इशराक से सिखना चाहिए. इशराक साहब अपने ईमान के साथ ही राष्ट्रधर्म के भी पक्के हैं. मित्रों महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने कहा है कि मैं देश के लिए इसलिए लड़ रहा हूं क्योंकि यह मेरा नैतिक और मानवीय धर्म है. स्वतंत्रता के लिए प्राणों की आहुति देनेवाले भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने भी राष्ट्रधर्म को नैतिक और मानवीय धर्म माना. यानी ये धर्म के बंधन से परे और ऊपर है. इन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर दिलाया है. इसलिए आजादी के उत्सव पर तिरंगा फहरान सिर्फ एक दस्तूर नहीं है. ये देश के प्रति हमारी भावना की अभिव्यक्ति भी है. राष्ट्रीय ध्वज फहराना उन स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देना भी है जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. लेकिन अफसोस है कि भारत में आज भी वो सोच जिंदा है जो राष्ट्र ध्वज में भी धर्म देखती है.
आज आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि तिरंगा फहराने का नियम क्या है. क्या संविधान में धार्मिक स्थलों पर तिरंगा फहराने की मनाही है. ये जानना आपके लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि जो लोग आज धार्मिक स्थल पर तिरंगा फहराने का विरोध कर रहे हैं वो परंपरा की दुहाई दे रहे हैं, संविधान की नहीं. ये वही लोग हैं जो हर बात में संविधान की दुहाई देते हैं. आज इन लोगों के वैचारिक पाखंड को समझने के लिए हमें ये जान लेना चाहिए कि तिरंगा फहराने पर देश का संविधान और कानून क्या कहता है. मित्रों संविधान में धार्मिक स्थलों पर तिरंगा फहराने के लिए कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है.
संविधान के अनुच्छेद 51A (a) के तहत भारत के हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि वो संविधान का सम्मान करे और राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे. यानी राष्ट्र ध्वज का सम्मान देश के हर नागरिक का कर्तव्य है. सोचिए अधिकारों की बात करनेवाले आज कर्तव्य की बात आते ही धर्म और परंपरा की दुहाई देने लगे हैं. हम यहां आपको बताना चाहेंगे कि फ्लैग कोड 2002 के प्रावधान के मुताबिक भी धार्मिक स्थलों पर तिरंगा फहराने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
सभी नागरिक, निजी संस्थान और शैक्षणिक संस्थान किसी भी दिन सम्मानपूर्वक तिरंगा फहरा सकते हैं. भारत का हर नागरिक दिन-रात यानी 24 घंटे तिरंगा फहराया जा सकता है. इसलिए देश के कई धर्मिक स्थलों पर तिरंगा फहराया जाता रहा है. कई मंदिरों और मठों में भी ध्वजा रोहण होता है. लेकिन मस्जिदों में तिरंगा नहीं फहराने की बात सुनकर कई हिंदू धर्मगुरु आवेश में हैं. वो कह रहे हैं कि मस्जिद में भी तिरंगा फहराना चाहिए.
हां राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय ये जरूर ध्यान रखना चाहिए कि तिरंगा हमेशा साफ और बेदाग हो. केसरिया पट्टी हमेशा सबसे ऊपर हो और तिरंगे के ऊपर कोई अन्य झंडा नहीं हो. इसके साथ ही ये भी ख्याल रखना चाहिए की राष्ट्रीय ध्वज जमीन या पानी को स्पर्श न करें. सभी नागरिक तिरंगा फहराए इसके लिए 2021 में हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया गया. यहां हम आपको ये भी बताना चाहेंगे कि भारत का सबसे ऊंचा तिरंगा जो 360 फुट का है पंजाब के अटारी–वाघा सीमा चौकी पर लगा है.