Petrol Diesel Excise Duty: केंद्र की मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में दो रुपये की बढ़ोतरी की है. शुल्क में बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब क्रूड ऑयल की कीमतें अप्रैल 2021 के बाद के सबसे कम है.
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Petrol Diesel Price: केंद्र सरकार ने सोमवार को रसोई गैस की कीमतों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की भारी बढ़ोतरी करने के साथ ही पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क भी दो रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया है. हालांकि, पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि का कोई असर नहीं होगा.
सरकार ने शुल्क में बढ़ोतरी ऐसे समय में की है जब क्रूड ऑयल की कीमतें अप्रैल 2021 के बाद के सबसे कम है. सोमवार को ब्रेंट क्रूड 2.12 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 64.24 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड 2.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60.61 डॉलर पर था. रेसिप्रोकल टैरिफ लगने के बाद क्रूड ऑयल की कीमतों में करीब 14 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है.
दरअसल, अमेरिकी टैरिफ का असर अब कमोडिटी मार्केट पर भी देखने को मिल रहा है. वैश्विक स्तर पर अहम माने जाने वाली गोल्ड और क्रूड ऑयल जैसी महत्वपूर्ण कमोडिटी की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद से क्रूड ऑयल की कीमतों पर भी दबाव देखा जा रहा है.
सरकार ने क्यों बढ़ाए पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज?
केंद्र सरकार ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाया है. हालांकि, पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि का कोई असर नहीं होगा क्योंकि यह शुल्क वृद्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल कीमतें गिरने से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले लाभ से समायोजित हो जाएगी.
भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतें काफी मायने रखती हैं. इसकी वजह यह है कि भारत अपनी 85 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को आयात से ही पूरा करता है. एक्साइज शुल्क बढ़ाने से सरकार को लगभग 32,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर राजस्व मिलेगा.
पेट्रोलियम मंत्री ने क्या कहा?
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी कहा है कि इससे इकट्ठा होने वाली राशि का इस्तेमाल एलपीजी पर पेट्रोलियम कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई में किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोल-डीजल बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे तेल की कीमतें 70-75 अमेरिकी डॉलर से गिरकर लगभग 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं और अगर अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें उसी स्तर पर बनी रहती हैं तो पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री मूल्य में गिरावट संभव है.