Sadma Movie Climax: कमल हासन ने अपने करियर में हर किरदार को बहुत खूबसूरती के साथ पर्दे पर उतारा. इन्हीं में से एक है उनकी फिल्म 'सदमा' का किरदार, जिसे आज 42 साल भी भुला पाना नामुमकिन है. अब फिल्म के क्लाइमेक्स को लेकर एक्टर ने कुछ खास खुलासे किए हैं.
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Sadma Movie Climax: कमल हासन अपने लंबे फिल्मी करियर में तमाम फिल्मों का हिस्सा बने. इस दौरान उन्होंने हर शैली की भूमिका को बखूबी पर्दे पर उतारा, जो यादगार भी रहीं. इन्हीं में से एक है कमल हासन की 1983 में आई फिल्म 'सदमा'. इस फिल्म में कमल हासन जो किरदार निभाया है उसे सिने लवर्स तो कभी नहीं भुला सकते. खासतौर पर फिल्म के क्लाइमेक्स को कौन भूल सकता है, जब श्रीदेव का किरदार अपनी याददाश्त वापस पाने के बाद कमल हासन के किरदार भूल जाता है और वह उसे छोड़कर चली जाती हैं.
श्रीदेवी ने भी बनाए रखा दबदबा
श्रीदेवी ने फिल्म में अपना खूब दबदबा बनाए रखा. कमल हासन अपनी शानदार अदाकारी के साथ आते हैं और गहरा प्रभाव छोड़ जाते. हालांकि फिल्म के अंत में कमल की अदाकारी की अक्सर तारीफ की जाती है, लेकिन वह फिल्म का पूरा श्रेय खुद को दिए जाने से इनकार कर देते हैं. हाल ही में अभिनेता ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि वह श्रीदेवी और फिल्म के निर्देशक बालू महेंद्र के साथ समान रूप से श्रेय साझा करते हैं.
इसलिए बनाया गया ऐसा क्लाइमेक्स?
कमल ने कहा, 'आप मणिरत्नम या बालू महेंद्र जैसे फिल्म निर्माता से कोई फिल्म नहीं छीन सकते. वह मुझे एक मजबूत किरदार देने की कोशिश कर रहे थे और वास्तव में कहें तो एक नायक को ऊंचा उठाने की कोशिश कर रहे थे. दर्शक हीरो के गुस्से, दर्द और प्यार का अनुभव करते हैं, जिसे उभारने के लिए आपको पूरे समय मेहनत करनी होती है. मुझे लगता है कि हम तीनों ने उस फिल्म में अभिनय किया. यह एक कॉम्पैक्ट चीज है और श्री बालू महेंद्र ने संपादन, छायांकन, लेखन, यह सब किया, क्योंकि क्रू बहुत छोटा था.'
बालू ने सिनेमा को बनाया सरल
उन्होंने आगे कहा, 'बालू FTII, पुणे से चेन्नई आए शुरुआती लोगों में से एक थे, जिन्होंने सिनेमा को सरल बनाया. आप एक साथी छात्र से जो सीखते हैं, वह एक महान गुरु की शिक्षा से कहीं ज्यादा होता है. हम दोनों ही संघर्ष कर रहे थे. वह थोड़े बड़े थे, इसलिए यह एक बड़े भाई के साथ चलने जैसा था.'
हमेशा स्टूडेंट रहना चाहते हैं कमल हासन
इससे पहले कमल ने कहा था कि इतने बड़े काम के बावजूद उन्हें सिनेमा का छात्र बनना पसंद है. वह अभिनेताओं की एक ऐसी नस्ल से हैं, जिन्हें सेल्युलाइड पर बड़े होने का सौभाग्य मिला है. उन्होंने छह साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में अपनी शुरुआत की और दर्शकों के सामने बड़े हुए. उन्होंने कहा कि सिनेमा के तेजी से विकास और विस्तार को देखते हुए सबसे सुरक्षित स्थान विद्यार्थी होना है.