हीटवेव से बढ़ रही है उम्र की रफ्तार, अधेड़ उम्र के लोगों पर पड़ रहा है सबसे ज्यादा असर!
Advertisement
trendingNow12663784

हीटवेव से बढ़ रही है उम्र की रफ्तार, अधेड़ उम्र के लोगों पर पड़ रहा है सबसे ज्यादा असर!

एक हालिया आनुवंशिक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि ज्यादा गर्मी के संपर्क में आने से जीन प्रभावित हो सकते हैं और खासतौर पर अधेड़ उम्र के लोगों में बुढ़ापा तेजी से अपनी पकड़ बना सकता है.

हीटवेव से बढ़ रही है उम्र की रफ्तार, अधेड़ उम्र के लोगों पर पड़ रहा है सबसे ज्यादा असर!

गर्मी का बढ़ता प्रकोप न सिर्फ असहनीय है, बल्कि अब यह हमारी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी तेज कर सकता है. एक हालिया आनुवंशिक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि ज्यादा गर्मी के संपर्क में आने से जीन प्रभावित हो सकते हैं और खासतौर पर अधेड़ उम्र के लोगों में बुढ़ापा तेजी से अपनी पकड़ बना सकता है. अमेरिका की साउदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए इस अध्ययन ने यह साबित कर दिया है कि ज्यादा गर्मी सिर्फ दिल की बीमारी और मृत्यु दर बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बायोलॉजिकल उम्र को भी बढ़ा सकता है.

शोध की वरिष्ठ लेखिका और समाजशास्त्र की प्रोफेसर जेनिफर आइलशायर ने बताया कि जिन क्षेत्रों में अधिक गर्मी वाले दिन होते हैं, वहां रहने वाले लोगों की बायोलॉजिकल उम्र ठंडे इलाकों के निवासियों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ती है. उन्होंने कहा कि यह वास्तव में गर्मी और नमी के संयोजन से संबंधित है, खासकर अधेड़ उम्र के लोगों के लिए.

कारण क्या?
अधेड़ उम्र में शरीर की पसीना निकालने की क्षमता कमजोर हो जाती है. इस कारण शरीर की नेचुरल ठंडक प्रणाली ठीक से काम नहीं कर पाती, जिससे गर्मी का प्रभाव बढ़ जाता है और शरीर के अंदरूनी हिस्सों पर दबाव बढ़ता है. यही वजह है कि 45 से 60 वर्ष की आयु के लोग हीटवेव के कारण तेजी से बूढ़े हो सकते हैं.

कैसे किया गया अध्ययन?
यह अध्ययन साइंस एडवांसेस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें 2010 से 2016 के बीच छह वर्षों तक 56 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 3,600 से ज्यादा वयस्कों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादा गर्मी में रहने वाले लोगों की बायोलॉजिकल आयु उनकी वास्तविक उम्र से अधिक तेजी से बढ़ रही थी. बायोलॉजिकल आयु, शरीर की कार्यप्रणाली को मॉलिक्यूलर, सेलुलरऔर अंगों के लेवल पर दर्शाती है. यदि बायोलॉजिकल उम्र कालानुक्रमिक (वास्तविक) उम्र से अधिक हो, तो यह दिल की बीमारी, किडनी फेलियर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकती है.

(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Trending news

;