कई जगहों पर एक से ज्यादा पत्नी रखने का रिवाज है तो कुछ क्षेत्र ऐसे भी जहां की महिलाएं एक से ज्यादा पति रख सकती थीं. आज हम आपको एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं.
Trending Photos
हाल ही में हिमाचल प्रदेश में एक महिला ने दो भाइयों से शादी की है. यह उनकी एक परंपरा है. शादी के बाद उनका कहना है कि हमने अपनी परंपरा का पालन किया है. हालांकि यह इकलौती ऐसी परंपरा नहीं है. इसके अलावा कई जगहों पर महिलाएं एक से ज्यादा पति रखती हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको 'संबंधम' परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं.
संबंधम एक ऐसी परंपरा जिसमें एक महिला पति रखती. हालांकि इसके लिए कई तरह शर्तें होती हैं. त्रावणकोर (मौजूदा समय में केरल में मौजूद है) में उच्च जाति ब्राह्मण नायर महिलाएं कभी कई-कई पति रखती थीं. इसको लेकर किसी को ऐतराज भी नहीं होता था. इस व्यवस्था में न तो पुरुष पति होते थे और न ही महिला पत्नी, फिर भी संबंध वैध माने जाते थे. इसके लिए शर्त होती थी कि पुरुष ब्राह्मण या समकक्ष उच्च जाति वाले ही होने चाहिए.
एक तरफ जहां भारतीय समाज का ज्यादातर हिस्सा पितृसत्तात्मक ढांचे पर आधारित रहा है. ऐसे में त्रावरणकोर के नायर समाज में संबंधम नाम की एक अनूठी परंपरा प्रचलित थी. इस परंपरा के तहत महिलाओं ने पितृसत्तात्मक ढांचे को चुनौती दी. ये महिलाएं शादी तो सिर्फ एक बार ही किया करती थीं लेकिन लेकिन कई पति रख सकती थीं. संबंधम नाम की परंपरा के तहत महिलाएं पुरुषों से सामाजिक तौर पर शादी के बगैर संबंध बनाती थीं और जब चाहे उन्हें छोड़ भी सकती थीं.
एक जानकारी के मुताबिक जब लड़की बड़ी होती थी यानी जब लड़ी के यौवन की शुरुआत होती थी तो उसे थाली केट्टू कल्याणम नाम की परंपरे से गुजरता होता था. इस दौरान लड़की की प्रतीकात्मक तौर पर ब्राह्मण या ऊंची जाति के किसी पुरुष से शादी करा दी जाती थी. इसमें दोनों को तीन दिन साथ रहना होता था. इसके बाद पुरुष और महिला दोनों अपने-अपने रास्ते पर चल पड़ते थे. यानी इसके बाद महिला की जिंदगी में बगैर शादी के कितने भी पति आ सकते थे.
दिलचस्प बात है यह भी है कि कोई भी पुरुष दिन में यह दावा नहीं कर सकता था कि वो फलां महिला का पति है. इसके अलावा वो दिन के समय में उस महिला से मिल भी नहीं सकता था. अगर उसे महिला से मिलना है तो उसके लिए रात होने का इंतेजार करना होता था. जब वो महिला के साथ एकांत में होता था तो अपना खंजर बाहर रखकर जाता था, ताकि कोई दूसरा पुरुष यह समझ जाए कि अंदर पहले से कोई और पुरुष है.
हालांकि ब्रिटिश ईसाई मिशनरियों और जजों को यह परंपरा अनैतिक लगी. इसके बाद 19वीं सदी के आखिर में केरल में शिक्षा, ईसाई धर्मांतरण और आधुनिक विचारधारा की एंट्री हुई तो नायर समाज के अंदर भी कई लोगों ने इस परंपरा का विरोध करना शुरू कर दिया. अंग्रेजों ने एक कानून बनाया नायर अधिनियम, 1925, इसमें संबंधम को कानूनी विवाह मानने से इनकार कर दिया.
FAQ
त्रावणकोर के बारे में बताएं?
त्रावणकोर का एतिहास काफी दिलचस्प है. 18वीं शताब्दी की शुरुआत में मार्तंड वर्मा (Marthanda Varma) ने इसकी स्थापना की थी. त्रावणकोर भारत के दक्षिणी भाग में मौजूद एक ऐतिहासिक रियासत था, जो आज के केरल राज्य के दक्षिणी हिस्से, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और लक्षद्वीप द्वीपसमूह तक फैला हुआ था।
पद्मनाभस्वामी मंदिर कहां है?
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में मौजूद है.