ब्लड कैंसर से जूझ रहा 4 साल का बच्चा, बिना बर्थ सर्टिफिकेट नहीं मिली दवाइयां, अब कोर्ट ने सुनाया फैसला
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ब्लड कैंसर से जूझ रहा 4 साल का बच्चा, बिना बर्थ सर्टिफिकेट नहीं मिली दवाइयां, अब कोर्ट ने सुनाया फैसला

Bombay HC On Child Birth Certificate: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोविड के दौरान जन्में एक बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर एक आदेश सुनाया है. 

 

ब्लड कैंसर से जूझ रहा 4 साल का बच्चा, बिना बर्थ सर्टिफिकेट नहीं मिली दवाइयां, अब कोर्ट ने सुनाया फैसला

Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पनवेल नगर निगम ( PMC) को ब्लड कैंसर से जूझ रहे 4 साल के एक बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया. बच्चे का जन्म कोविड काल के दौरान हुआ था. मामले को लेकर जस्टिस रेवती मोहिते डेरे औप नीला गोखले ने सोमवार 7 अप्रैल 2025 को पिता की याचिका को स्वीकार करते हुए आदेश दिया. 

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बच्चे का नहीं बन पाया बर्थ सर्टिफिकेट 
आदेश में कहा गया,' इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों को देखते हुए हम प्रतिवादी पनवेल नगर निगम को एस के नाम पर तत्काल जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देना उचित समझते हैं.' 'TOI'की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे के माता-पिता की शादी साल 2013 में हुई थी. वहीं उसका जन्म 23 मार्च साल 2021 में न्यी पनवेल के नील क्लीनिक में हुआ था. अस्पताल के अधिकारियों ने बच्चे के जन्म की रिपोर्ट PMC को नहीं सौंपी थी, जिससे उसका बर्थ सर्टिफिकेट नहीं बन पाया. 

बिना जिलाधिकारी के खड़ी हुई समस्या 
बच्चे को मेडिकल से जुड़ी समस्याएं होने पर जब माता-पिता उसे अस्पताल ले गए तो अस्पताल प्रशासन ने बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट मांगना शुरु कर दिया. बच्चे के पिता इसके लिए जब PMC गए तो उन्हें जिलाधिकारी के पास से ऑर्डर लाने के लिए कहा गया. पिता के वकील दीपाली बग्ला और प्रशांत नकाती ने बेंच को बताया कि पनवेल में एप्लिकेशन लेने के लिए कोई जिलाधिकारी नहीं है. वहीं बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए वे हाईकोर्ट पहुंचे हैं. 

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बच्चे को मिलेगा बर्थसर्टिफिकेट
हाईकोर्ट ने पाया कि बच्चे को स्टेज 4 का ब्लड कैंसर है और उसे हर हफ्ते ऑटोलॉगस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जरूरत है. इसके लिए विदेशों से दवाईयों की जरूरत है. ऐसे में बर्थ सर्टिफिकेट की बेहद आवश्यकता है. PMC के एडवोकेट अभीजित ने कहा कि अगर हाईकोर्ट आदेश देता है तो 48 घंटों के अंदर बच्चे को बर्थ सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा. जजों ने उनके बयान को स्वीकार करते हुए अपना आदेश दिया. 

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