89 साल के बुजुर्ग ने 13 साल की अनजान लड़की के नाम लिख दी पूरी वसीयत, मार्मिक स्‍टोरी जान हो जाएंगे इमोशनल
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89 साल के बुजुर्ग ने 13 साल की अनजान लड़की के नाम लिख दी पूरी वसीयत, मार्मिक स्‍टोरी जान हो जाएंगे इमोशनल

अहमदाबाद में एक 89 साल के बुजुर्ग गुस्साद बोरजोरजी इंजीनियर की कहानी इन दिनों सबका दिल जीत रही है. उन्होंने अपनी सारी संपत्ति एक 13 साल की लड़के के नाम कर दी है. जानें पूरी कहानी.  खबर अपडेट हो रही है

89 साल के बुजुर्ग ने 13 साल की अनजान लड़की के नाम लिख दी पूरी वसीयत, मार्मिक स्‍टोरी जान हो जाएंगे इमोशनल

अहमदाबाद में एक 89 साल के बुजुर्ग गुस्साद बोरजोरजी इंजीनियर की कहानी इन दिनों सबका दिल जीत रही है. उन्होंने अपनी सारी संपत्ति एक 13 साल की लड़के के नाम कर दी है. जिस लड़की से उनका कोई खून का रिश्ता ही नहीं था. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, खून से परे एक रिश्ते की कहानी सामने आई है. गुजरात के एक व्यक्ति ने अपनी देखभाल करने वाली की 13 साल की लड़की अमीषा मकवाना के नाम वसीयत लिख दी. बुजुर्ग ने लड़की को अपने परिवार जैसा माना, और मरने से पहले उसे वसीयत में अपना सब कुछ दे दिया. अहमदाबाद की एक अदालत ने एक वसीयत को मंज़ूरी दे दी. आइए जानते हैं इस भावुक कहानी को. 

89 साल के गुस्साद बोरजोरजी और 13 साल की लड़की अमीषा मकवाना का रिश्ता खूनी तो नहीं था, लेकिन खून से कम नहीं था. जिसमें प्यार, विश्वास और इंसानियत थी. गुस्साद ने अमीषा को अपनी बेटी की तरह पाला और उसका भविष्य संवारने के लिए अपना 159 गज का फ्लैट उसे वसीयत में दे दिया. अहमदाबाद की सिटी सिविल कोर्ट ने इस वसीयत को मंजूरी दी और अमीषा के नाम उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जारी किया.

गुस्साद पहले टाटा इंडस्ट्रीज में काम करते थे. उनकी पत्नी का निधन 2001 में हो गया था और उनका कोई बेटा-बेटी नहीं था. उनकी देखभाल अमीषा की दादी करती थीं, जो उनके लिए खाना बनाती थीं. अमीषा छोटी उम्र से ही अपनी दादी के साथ गुस्साद के घर आती थी. धीरे-धीरे दोनों के बीच एक गहरा रिश्ता बन गया. गुस्साद ने अमीषा को बेटी की तरह प्यार दिया और उसकी पढ़ाई का खर्च उठाया.

फरवरी 2014 में गुस्साद का निधन हो गया. उससे एक महीने पहले उन्होंने दो गवाहों के सामने अपनी वसीयत लिखी और उसे नोटराइज करवाया. उस समय अमीषा नाबालिग थी, इसलिए गुस्साद ने अपने भतीजे बेहराम इंजीनियर को वसीयत का कार्यवाहक बनाया. बेहराम ने अमीषा की देखभाल तब तक की, जब तक वह बालिग नहीं हो गई.

2023 में अमीषा ने कोर्ट में वसीयत लागू करने की अर्जी दी. कोर्ट ने नोटिस जारी किया, लेकिन किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई. गुस्साद के भाई ने भी अमीषा के पक्ष में ‘ना-आपत्ति प्रमाणपत्र’ दे दिया. 2 अगस्त 2025 को कोर्ट ने अमीषा के हक में फैसला सुनाया.

अब अमीषा एक निजी कंपनी में काम करती हैं. गुस्साद को याद करते हुए वे कहती हैं, “मैं उन्हें ताई बुलाती थी. वे मेरे लिए माता-पिता जैसे थे. उन्होंने मुझे गोद लेना चाहा, लेकिन मेरे धर्म और पहचान को बनाए रखने के लिए ऐसा नहीं किया. वे चाहते थे कि मुझे दोनों परिवारों का प्यार मिले.”

यह कहानी बताती है कि रिश्ते दिल से बनते हैं, खून से नहीं. गुस्साद का अमीषा के लिए प्यार और उसका भविष्य सुरक्षित करने की सोच हर किसी को भावुक कर देती है.
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कृष्णा पांडेय

कृष्णा पांडेय, ज़ी न्यूज़ डिजिटल में चीफ सब-एडिटर के रूप में कार्यरत हैं. वह राजनीति, अंतरराष्ट्रीय मामलों, क्राइम, और फीचर जैसे कई बीट्स पर काम करते हैं. इनकी खासियत है इन-डेप्थ एक्सप्लेनर और संवे...और पढ़ें

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