DNA Analysis: कुलगाम के अखल गांव में आतंकवादियों के खिलाफ शुरू किया ऑपरेशन अखल अब तक का सबसे लंबा ऑपरेशन बन गया है. आज ऑपरेशन अखल का नौवां दिन है. जंगल में आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना के बाद 1 अगस्त को ऑपरेशन शुरू किया गया था.
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DNA Analysis: DNA में अब हम जम्मू-कश्मीर के जंगलों में आतंकियों से हो रहे सबसे बड़े एनकाउंटर का विश्लेषण करेंगे जो पिछले 200 घंटे से ज्यादा समय से चल रहा है. कुलगाम के अखल गांव में आतंकवादियों के खिलाफ शुरू किया ऑपरेशन अखल अब तक का सबसे लंबा ऑपरेशन बन गया है. आज ऑपरेशन अखल का नौवां दिन है. जंगल में आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना के बाद 1 अगस्त को ऑपरेशन शुरू किया गया था. 2 अगस्त को सेना ने एक आतंकी के मारे जाने की जानकारी दी थी लेकिन आज सुबह ऑपरेशन अखल से सेना के लिए बुरी खबर आई कल रात एनकाउंटर में फायरिंग और धमाके की वजह से जो सैनिक घायल हुए थे. उनमें से दो सैनिक आज वीरगति को प्राप्त हो गए.
लांस नायक प्रितपाल सिंह और सिपाही हरमिंदर सिंह ने सर्वोच्च दियाइलाज के दौरान लांस नायक प्रितपाल सिंह और सिपाही हरमिंदर सिंह की जान चली गई जिसकी जानकारी आज खुद सेना ने दी और उनके बलिदान को नमन किया. ऑपरेशन अखल में घायल सैनिकों की संख्या बढ़कर 11 पहुंच गई. इस ऑपरेशन में सेना के साथ CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस की SOG भी शामिल है. करीब 1500 जवानों ने जंगलों की घेराबंदी कर रखी है. जो जानकारी अब तक सामने आई है उसके मुताबिक जंगल में दो से चार आतंकवादी छिपे हैं. मुठभेड़ के दौरान किस तरह ताबड़फोड़ फायरिंग हुई.
| कुलगाम में ऑपरेशन अखल का नौवां दिन, अखल जंगल को आतंकियों ने बनाया 'ढाल'!
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— Zee News (@ZeeNews) August 9, 2025
ऑपरेशन अखल लंबा क्यों खिंच रहा है, इसकी वजह जानने से पहले आप पहले ये देखिए कि पिछले 9 दिनों में ऑपरेशन के दौरान क्या-क्या हुआ. करीब 200 घंटों से कुलगाम में आतंकियों से मुठभेड़ चल रही है. इतना वक्त बीत जाने के बावजूद ये ऑपरेशन इसलिए अब तक चल रहा है इसकी एक से ज्यादा वजह है. पाकिस्तान परस्त आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने के लिए अपनी रणनीति में शायद बदलाव किया है. वो सेना को लंबे मुठभेड़ में उलझाकर रखना चाहते हैं. आतंकियों ने जंगल में कई ठिकाने भी बना रखे हैं और उनकी पूरी साज़िश सेना को घने जंगल में जाने को मजबूर करने की है.
आतंकियों को ये पता है कि गोला-बारूद और हथियारों के साथ छिपे होने के बावजूद भारतीय सेना को उन्हें ट्रैक करने में दिक्कत आएगी. इसलिए वो जंगल में ऊंचाई वाले इलाके में छिपकर ठिकाना बनाए हुए हैं. बताया जा रहा है कि आतंकी जंगल का इस्तेमाल बंकर की तरह कर रहे हैं. अखल के जंगलों में कई प्राकृतिक बंकर, गुफाएं हैं जो आतंकियों को छिपने और सुरक्षाबलों से बच निकलने का मौका दे रही है. जंगल होने की वजह से ड्रोन से आतंकियों को खोजने में दिक्कत आ रही है क्योंकि घने पेड़ों की छांव में ड्रोन से निगरानी में परेशानी आती है और आतंकियों का सटीक ठिकाना ढूंढना मुश्किल हो जाता है.
ऑपरेशन अखल लंबा ज़रूर खिंच रहा है लेकिन आतंकियों का अंत तय है. आज नहीं तो कल जो आतंकी जंगल को ढाल बनाकर दहशतगर्दी फैला रहे हैं सेना उन सबको चुन-चुन करके सज़ा देगी. जिन आतंकियों ने पहलगाम को दहलाया था. उनमें से 3 आतंकियों को सेना ने ऑपरेशन महादेव में 28 जुलाई को मार गिराया था. 29 जुलाई को ऑपरेशन शिवशक्ति में सेना 2 आतंकियों को ढेर किया था और अब बारी ऑपरेशन अखल के अंजाम तक पहुंचने की है. जितने भी आतंकी छिपे हैं उनके लिए ऑपरेशन अखल काल बनेगा.