Pragya Thakur: जेपी मिश्रा ने आरोप लगाया कि एटीएस ने सबूत इकट्ठा नहीं किए बल्कि बनाए. उन्होंने कहा कि साक्ष्य इकट्ठा करने का मतलब होता है निष्पक्ष जांच लेकिन यहां गवाहों पर दबाव डाला गया और झूठे दस्तावेज पेश किए गए.
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Malegaon blast case: 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में विशेष एनआईए अदालत 31 जुलाई 2025 को फैसला सुना सकती है. इस मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील जेपी मिश्रा को उम्मीद है कि इस दिन सत्य की जीत होगी. उन्होंने कहा कि हमने केस में मजबूत तैयारी की है और जो झूठे सबूत पेश किए गए हैं उन्हें कोर्ट जरूर समझेगा.
असल में मिश्रा ने बताया कि शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी. जिसमें 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. बाद में कोर्ट ने इनमें से 5 को डिस्चार्ज कर दिया. दो आरोपियों के केस अन्य कोर्ट में भेज दिए गए. जबकि सात लोगों पर अब भी मुकदमा चल रहा है. जिनमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित शामिल हैं.
लंबा समय लेने से ट्रायल लंबा चला?
उन्होंने केस में देरी की वजह बताते हुए कहा कि 323 गवाहों की गवाही और एक गवाह के लंबा समय लेने से ट्रायल लंबा चला. मिश्रा ने बताया कि शुरुआत में एटीएस ने मकोका लगाया. लेकिन इसकी शर्तें पूरी नहीं होती थीं. 2011 में केस एनआईए को सौंपा गया और 2016 में चार्जशीट दाखिल हुई. जिसमें कुछ लोगों को क्लीन चिट दी गई. लेकिन कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया.
जेपी मिश्रा ने आरोप लगाया कि एटीएस ने सबूत इकट्ठा नहीं किए बल्कि बनाए. उन्होंने कहा कि साक्ष्य इकट्ठा करने का मतलब होता है निष्पक्ष जांच लेकिन यहां गवाहों पर दबाव डाला गया और झूठे दस्तावेज पेश किए गए. उन्होंने विश्वास जताया कि 31 जुलाई को सभी आरोपियों की कोर्ट में मौजूदगी जरूरी है और उसी दिन सच सामने आएगा. Ians Input