Manipur violence: मणिपुर में जातीय हिंसा मई 2023 में तब भड़क उठी थी जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव के खिलाफ एक विरोध मार्च निकाला गया था. इस हिंसा के बाद राज्य की पुलिस चौकियों और गोदामों से हथियार लूटे गए थे. उसके बाद हुआ बवाल अभी शांत नहीं हुआ.
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Meitei Kuki conflict: मणिपुर के ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला वहां शांति स्थापित करने के लिए जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में वो तमाम कटटरपंथी समूहों के साथ बैठकें भी कर रहे हैं. इसी कड़ी में कट्टरपंथी मैतेई समूह अरम्बाई तेंगगोल ने कहा है कि वह अवैध हथियार तभी सौंपेगा जब उसकी शर्तें मानी जाएंगी. यह बयान तब आया जब मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सभी समुदायों से सात दिनों के भीतर लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियार आत्मसमर्पण करने की अपील की थी ताकि राज्य में लंबे समय से जारी जातीय हिंसा को खत्म किया जा सके.
असल में अरम्बाई तेंगगोल के जनसंपर्क अधिकारी रॉबिन मंगांग ख्वैराकपम ने बताया कि उन्होंने भल्ला से मुलाकात की और हथियार सरेंडर के लिए कुछ शर्तें रखीं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी शर्तों को मान लेती है तो वे हथियार सौंपने को तैयार हैं. हालांकि ख्वैराकपम ने इन शर्तों और सरेंडर की समय सीमा का खुलासा नहीं किया लेकिन उन्होंने कहा कि भल्ला ने उन्हें मणिपुर में शांति बहाल करने और सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलने का आश्वासन दिया है.
इस बैठक में अरम्बाई तेंगगोल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा है. इसमें म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने, 1951 के आधार पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने, अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने और कुकी उग्रवादी समूहों के साथ चल रही शांति वार्ता को समाप्त करने जैसी मांगें रखी गईं. साथ ही उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि किसी भी स्वयंसेवक या सशस्त्र नागरिकों, विशेष रूप से अरम्बाई तेंगगोल के सदस्यों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई न हो. इसके अलावा उन्होंने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की भी मांग रखी.
मणिपुर में जातीय हिंसा मई 2023 में तब भड़क उठी थी जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव के खिलाफ एक विरोध मार्च निकाला गया था. इस हिंसा के बाद राज्य की पुलिस चौकियों और गोदामों से करीब 6,000 हथियार लूटे गए थे जिनमें से अब तक केवल 2,500 ही बरामद हो पाए हैं. इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और करीब 60,000 लोग बेघर हो चुके हैं.
हिंसा के बीच राज्यपाल भल्ला ने 20 फरवरी को दोनों समुदायों से सात दिनों के भीतर हथियार सौंपने की अपील की थी और भरोसा दिया था कि जो लोग हथियार सरेंडर करेंगे उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी. इस अपील के दो दिन पहले अरम्बाई तेंगगोल के कमांडर इन चीफ टायसन नंगबाम ने राज्यपाल से मुलाकात की और करीब एक घंटे की बंद कमरे में चर्चा की. इस बीच मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है क्योंकि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
उधर फिलहाल एक नए घटनाक्रम में कुकी समूह ने मणिपुर के राज्यपाल की मैतेई संगठन अरामबाई टेंगोल से मुलाकात की आलोचना की है. कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स’ (कोहूर) ने ‘अरामबाई टेंगोल’ को बड़े पैमाने पर हिंसा के लिए जिम्मेदार सशस्त्र चरमपंथी समूह बताया और मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की इस मैतेई संगठन से मुलाकात करने के लिए आलोचना की.