MP Membership Rules: 60 दिन गायब मतलब सदस्यता गई... सांसदों की गैरहाजिरी पर कड़ी निगरानी, लोकसभा अध्यक्ष ने गठित की समिति
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MP Membership Rules: 60 दिन गायब मतलब सदस्यता गई... सांसदों की गैरहाजिरी पर कड़ी निगरानी, लोकसभा अध्यक्ष ने गठित की समिति

MP Leave Approval Committee: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन सांसदों के अवकाश आवेदनों पर विचार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है, जो सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहते हैं.

MP Membership Rules: 60 दिन गायब मतलब सदस्यता गई... सांसदों की गैरहाजिरी पर कड़ी निगरानी, लोकसभा अध्यक्ष ने गठित की समिति

MP Leave Approval Committee: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन सांसदों के अवकाश आवेदनों पर विचार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है, जो सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहते हैं. इस समिति की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद विप्लव कुमार देव करेंगे. समिति का मुख्य उद्देश्य सांसदों की अनुपस्थिति के कारणों की समीक्षा करना और उनके अवकाश को मंजूरी देने या अस्वीकार करने पर निर्णय लेना है.

15 सदस्यीय समिति में अलग-अलग दलों के सांसद शामिल

इस समिति में कुल 15 सदस्य होंगे जिनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों को शामिल किया गया है. भाजपा से सौमित्र खान, ज्ञानेश्वर पाटिल, जय प्रकाश, गोपाल ठाकुर और मनसुखभाई वसावा को समिति का सदस्य बनाया गया है. इसके अलावा, समाजवादी पार्टी (सपा) के आनंद भदौरिया, तृणमूल कांग्रेस के असित कुमार मल, कांग्रेस के गोवाल पदवी, वी. के. श्रीकंदन और प्रशांत पडोले, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अमरा राम, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के केसिनेनी शिवनाथ और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नलिन सोरेन भी इस समिति में शामिल हैं.

समिति के गठन का समय महत्वपूर्ण क्यों?

समिति का गठन ऐसे समय में किया गया है जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय डिब्रूगढ़ जेल में बंद लोकसभा सांसद अमृतपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. अमृतपाल सिंह ने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जाए. उन्होंने अपनी याचिका में यह दलील दी कि यदि वह लगातार 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहते हैं, तो उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है.

सांसदों की उपस्थिति और सदस्यता के नियम

भारतीय संसद के नियमों के अनुसार यदि कोई सांसद लगातार 60 दिनों तक सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेता है, तो उनकी सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है. हालांकि, यदि किसी सांसद की अनुपस्थिति का कोई वैध कारण होता है और उसे समिति द्वारा मंजूरी दी जाती है, तो वह अपनी सदस्यता बनाए रख सकता है. इस नई समिति की जिम्मेदारी होगी कि वह सांसदों के अवकाश आवेदनों की जांच कर उचित निर्णय ले.

आगे की प्रक्रिया

इस समिति की पहली बैठक जल्द ही होने की संभावना है. जिसमें सांसदों के अवकाश से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि समिति अमृतपाल सिंह के मामले को लेकर क्या फैसला लेती है और भविष्य में अन्य सांसदों के अनुपस्थिति मामलों को कैसे निपटाया जाता है. इस समिति के गठन से संसद की कार्यवाही में अनुशासन सुनिश्चित करने और सांसदों की उपस्थिति को लेकर पारदर्शिता बनाए रखने की कोशिश की जाएगी.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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