हलाहल को पचाने वाले शिवजी सबके हैं, देवों के भी हैं और राक्षसों के भी... 'भागवत' ज्ञान के मायने गहरे हैं
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हलाहल को पचाने वाले शिवजी सबके हैं, देवों के भी हैं और राक्षसों के भी... 'भागवत' ज्ञान के मायने गहरे हैं

Mohan Bhagwat News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की हर बयान के मायने निकाले जाते हैं. ऐसे में शिव महापुराण की शिव महिमा सुनाकर संघ प्रमुख ने कोई गहरा संकेत दिया है, तभी तमाम तरह की चर्चा और कयासबाजी शुरू हो गई है.

हलाहल को पचाने वाले शिवजी सबके हैं, देवों के भी हैं और राक्षसों के भी... 'भागवत' ज्ञान के मायने गहरे हैं

RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने देश-दुनिया की हालत पर बड़ा बयान दिया है. एक आयोजन में संघ प्रमुख भागवत ने कहा, 'थोड़ा सा हलाहल भी निकलता है यदि हलाहल को पचाया नहीं तो हम सबको जला देगा. उस गरल हलाहल को पचाने वाले शिवजी हैं. वह सबके हैं वह देवों के भी हैं और राक्षसों के भी हैं, ऐसे शिवजी हैं और वह कैलाश पर्वत पर विराजते हैं काशी उनका धाम है. 12 ज्योतिर्लिंगों में साक्षात उनका निवास है और भी अनेक स्थान है यह सिर्फ भारत में नहीं है संपूर्ण विश्व में स्वयंभू हैं. संपूर्ण विश्व में स्वयंभू शिवलिंग निकलते और मिलते हैं क्योंकि वह आदि देव हैं.

जीव को ही शिव मानकर उसकी पूजा करो: भागवत

भागवत ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, 'सारी दुनिया में उनकी महिमा है. ऐसे शिवाजी वह चराचर जगत में हैं. इसीलिए हमारे यहां ऐसा भी कहते हैं कि जन में जनार्दन को देखो. नमो में नारायण को देखो और जीव को ही शिव मानकर उसकी पूजा करो. शिवजी के प्रति की पूजा करनी चाहिए. शिवजी के प्रति शिवलिंग वगैरा उनके जो प्रतीक है उनकी पूजा करना चाहिए. उनके प्रति में देखने का अभ्यास बनता है सब जीवों के सब प्राण धारी इनमें शिवजी ही हैं. अनेक घट-घट में राम है ऐसा हम लोग कहते हैं कहते तुम्हें करना चाहिए.'

कही संकट आता है तो सबके लिए सबसे आगे आते हैं शिव

मोहन भागवत ने कहा, 'शिवजी अपने लिए कुछ नहीं चाहते हैं अपने लिए कुछ नहीं करते ,लेकिन कही संकट आता है तो सबके लिए सबसे आगे आते हैं. जब समृद्धि है जब कुछ उपलब्धि होती तब वह उपस्थित नहीं रहते हैं लेकिन संकट आता है तो वह अपने गले में धारण करते हैं किसी को बचाने के लिए क्या हम अपने जीवन में ऐसा शिवजी जैसा अनुसरण कर सकते हैं.'

संघ के प्रचारक हो या अन्य बड़े पदाधिकारी सभी बहुत कम बोलते हैं. आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत भी बहुत विद्वान हैं. देश-दुनिया की गहरी समझ रखते हैं. संघ प्रमुख भी कम शब्दों में सबकुछ कह देते हैं. ऐसे में समुद्र मंथन में सबसे पहले निकले हलाहल विष और उसे पीने वाले भगवान शंकर की स्तुति करते हुए दिया गया मोहन भागवत का ये बयान वाकई अपने अंदर कई गहरे मायने समेटे हुए लगता है. एक ओर सियासी गलियारों में बीजेपी के नए अध्यक्ष के नाम को लेकर संघ और भारतीय जनता पार्टी में मतभेद की खबरें चल रही हैं. कोई इसे मनभेद बता रहा है, वहीं दूसरी ओर चंद लोग पीएम मोदी की उम्र के हवाले से देश के प्रधानमंत्री पद को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं. ऐसे में पॉलिटिकल पंडितों को अपने-अपने हिसाब से मायने निकालने दीजिए, जब तक बीजेपी या संघ की ओर से खुलकर कोई बयान न आ जाए तब तक 'भागवत' और शिव पुराण के ज्ञान पर चर्चा चलती रहेगी.

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श्वेतांक रत्नाम्बर

जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई और पॉलिटिकल साइंस में भी ग्रेजुएशन. 21 साल से पत्रकारिता में सक्रिय. राजनीतिक खबरों से ख़ास लगाव. फिलहाल ज़ी न्यूज (...और पढ़ें

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