ST Hassan: समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन ने उत्तराखंड में जारी कुदरत की कहर में धर्म तलाश कर लिया है. चलिए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?
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उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा से पूरा देश दुखी है लेकिन इस आपदा में भी कुछ लोग मजहब तलाश रहे हैं. डीएनए में हम आपदा में मजहब ढूंढने वालों की ब्रैन मैपिंग करेंगे. आज हम ऐसी संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों की वैचारिक मरम्मत करेंगे जो आपदा में भी हिंदू-मुसलमान का एंगल ढूंढ लेते हैं.
धराली में प्राकृतिक आपदा के शिकार लोगों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. मलबे में जिंदगी की तलाश हो रही है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच कुछ कट्टरपंथी मानसिकता ने लोगों ने प्राकृतिक हादसे में धर्म वाला नजरिया तलाश लिया है. समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने प्राकृतिक हादसे पर जो कुछ कहा है उसे सुनकर आप भी सोचेंगे कि आखिर ऐसे मानसिकता का विकास कैसे होता है.
#DNAWithRahulSinha | आपदा में मजहब ढूंढने वालों की वैचारिक मरम्मत... सैलाब में 'हिंदू-मुसलमान' किसने देखा?#DNA #STHasan #SamajwadiParty #DharaliTragedy @RahulSinhaTV pic.twitter.com/TZtiGVLHSC
— Zee News (@ZeeNews) August 9, 2025
भूगोल से जुड़े विद्वान अभी भी उन कारणों की तलाश कर रहे हैं कि जिनकी वजह से धराली में प्राकृतिक आपदा आई लेकिन वोट शास्त्री एसटी हसन ने अपने खास नजरिए से प्राकृतिक हादसे के पीछे धार्मिक स्थल और इंसाफ वाला कारण तलाश लिया. हम एसटी हसन के दिमाग में पनपी इस कट्टरपंथी सोच के विश्लेषण से पहले आपको उनके बारे में छोटी सी जानकारी शेयर करना चाहते हैं. बतौर सांसद अपने शपथ पत्र में एसटी हसन ने बताया था कि वो पेशे से मेडिकल प्रैक्टिशनर हैं. उन्होंने MBBS की पढ़ाई की है. वो संसद की कई कमेटियों में शामिल रहे हैं.
140 करोड़ की आबादी वाले अपने देश में हर साल महज एक लाख आठ हजार छात्र की मेडिकल की पढ़ाई करते हैं. आप समझ सकते हैं कि मेडिकल की पढ़ाई कितनी मुश्किल होती है और इसमें दाखिले के लिए छात्र को कितना मेधावी होना होता होगा. तो सोचिए ऐसी मेडिकल की पढ़ाई करने वाले एसटी हसन के दिमाग में ये कट्टरपंथी सोच कैसे आ गई. मेडिकल जैसा तार्किक विषय पढ़नेवाले एसटी हसन के दिमाग में धार्मिक स्थल और इंसाफ वाली थ्योरी कैसे आ गई
इसकी वजह है वोट वाली राजनीति और तुष्टीकरण वाली सोच. एसटी हसन मुरादाबाद के मेयर रहे. 2019 से 2024 तक मुरादाबाद से सांसद रहे. रिपोर्ट्स के मुताबिक मुरादाबाद की आबादी में करीब 50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. इसी वोट को देखते हुए धराली हादसे पर चर्चा करते वक्त एसटी हसन ने अपने डॉक्टर वाले दिमाग को विश्राम दे दिया. वैज्ञानिक सोच को छुट्टी पर भेज दिया और वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए बयान दिया.
इतना ही नहीं बयान पर विवाद हुआ तब भी एसटी हसन ने जो सफाई दी उसमें माफी का भाव नहीं था. एक खास वर्ग की भावनाओं को तुष्ट करनेवाली सोच ही प्रमुख थी. एसटी हसन जनप्रतिनिधि रहे हैं. कानून क्या है अच्छी तरह जानते हैं. एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अतिक्रण और अवैध निर्माण के खिलाफ उन्हें आवाज उठानी चाहिए थी लेकिन वो खुद को एक खास वर्ग का प्रतिनिधि ही मानते हैं और उसी वर्ग को खुश करने के लिए बयानबाजी करते हैं. उनकी सोच खुद को मुसलमानों की आवाज बताकर समाजवादी पार्टी मे बड़ा पद पाने की रही होगी.
वोट के लिए कुछ भी?
यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 1 लाख एकड़ जमीन अतिक्रमण किया गया है. अवैध धार्मिक ढांचा बनाकर वन क्षेत्र की जमीन पर कब्जा किया गया है. 2023 में उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू हुई. उत्तराखंड सरकार ने 2023-2024 में सरकारी जमीन पर कब्जे की जानकारी के लिए सर्वे कराया था. कोर्ट के आदेश के बाद सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया गया लेकिन एसटी हसन जैसे नेताओं को वोट के लिए, एक खास वर्ग के तुष्टिकरण के लिए इस एक्शन में भी खोट दिखाई देती है. तभी वो भयानक प्राकृतिक आपदा को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से जोड़ देते हैं.
विद्वान कहते हैं प्रकृति सबके लिए एक समान होती है. धूप, सर्दी, बारिश सबके लिए एक समान होती है. प्रकृति किसी से भेदभाव नहीं करती है लेकिन एसटी हसन जैसे लोग आपदा में भी वोट के लिए महजब तलाश लेते हैं. ऐसी सोच के लिए आपदा दुख का नहीं राजनीति का मुद्दा बना जाती है. ऐसी सोच दुख को भी महजब देखकर ही महसूस करती है. आज हम यही कहेंगे कि एसटी हसन जैसे लोगों को अपने नजरिए का विस्तार और सुधार करना चाहिए. उन्हें समझना चाहिए की प्रकृतिक की मार सभी पर समान रूप से पड़ती है.
जैतपुर में 7 लोगों की गई जान
आपदा में महजब तलाशने वाले एसटी हसन को आज दिल्ली के जैतपुर में हुए हादसे की तस्वीर भी देखनी चाहिए. यहां हादसे में 7 लोगों की जान चली गई. ये सभी एक ही धर्म के लोग हैं. क्या एसटी हसन इस हादसे में भी महजब की तलाश करेंगे.