Nag Panchami Dolls Ritual: नागपंचमी पर्व 29 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है, साथ ही कुछ इलाकों में गुड़िया पीटने की एक अजीब परंपरा भी निभाई जाती है.
Trending Photos
Nag Panchami Story: सावन महीने में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में नागपंचमी भी शामिल है. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी मनाते हैं, जो कि भगवान शिव के गण नाग देवता को समर्पित है. नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने के साथ-साथ भाई-बहन के रिश्ते के प्रेम और गहराई को याद दिलाने वाला पर्व भी है. जिसके चलते देश के कुछ हिस्सों में नागपंचमी के दिन गुड़िया पीटने का पर्व भी मनाया जाता है, जिसे गुड़िया पर्व कहते हैं. यह पर्व सच्चे दिल से किए गए पश्चाताप का महत्व भी बताता है. इस साल नागपंचमी 29 जुलाई को है. इस दिन नाग देवता की पूजा करके उनसे सुख-शांति और समृद्धि देने की प्रार्थना की जाती है. आइए जानते हैं नागपंचमी के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा की कहानी.
यह भी पढ़ें: मंगल का 'महागोचर' आज, टूटेगी केतु संग अशुभ युति, 4 राशि वालों को मिलेगा अकूत धन, झूम उठेंगे खुशी से!
गुड़िया पर्व की कहानी
गुड़िया पर्व की शुरुआत की वजह एक भाई-बहन की कहानी से जुड़ी हुई है. इसके अनुसार, काफी पहले एक गांव में एक भाई-बहन रहते थे. भाई भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था. वह रोज मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा करता था. उस मंदिर में एक सांप भी रहता था. लड़का सांप को दूध पिलाता था, समय के साथ सांप और लड़के में गहरी दोस्ती हो गई. कई बार सांप प्रेमवश लड़के के पैर में लिपट जाया करता था. एक दिन सांप लड़के के पैरों में लिपटा हुआ था, तभी लड़के की बहन आ गई. उसे लगा कि सांप उसके भाई को काट रहा है. उसने बिना सोचे-समझे पास में पड़ा हुआ डंडा उठाया और सांप को मार दिया.
इसके बाद भाई ने उसे सांप के पैर में लिपटने की वजह बताई, तब लड़की को बहुत दुख और पश्चाताप हुआ. वह खूब रोने लगी. पूरे गांव में यह बात फैल गई और सारे लोग मंदिर में जमा हो गए. लोगों को जब पूरी बात पता चली तो उन्हें लगा कि लड़की से पाप तो हुआ है लेकिन अनजाने में हुआ है और वह उसके लिए सच्चे मन से पश्चाताप भी कर रही है. तब गांव के लोगों ने लड़की को असली में तो मारने की सजा नहीं दी जा सकती है, लिहाजा उसकी जगह गुड़िया बनाकर उसे पीटते हैं. तब से ही इस घटना की याद में नागपंचमी के दिन गुड़िया को पीटने का यह पर्व मनाया जाता है.
यह भी पढ़ें: धन के देवता कुबेर को अतिप्रिय हैं वृषभ समेत ये 4 राशियां, 35 की उम्र के बाद बिठा देते हैं नोटों के ढेर पर!
आज भी निभाते हैं परंपरा
आज भी उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कुछ राज्यों में नागपंचमी के दिन गांवों और कस्बों में रुई और कपड़े से गुड़िया बनाई जाती है. फिर बच्चे एक जगह इकट्ठा होकर उन गुड़ियों को डंडों से हल्के से पीटते हैं. इसके बाद उन गुड़ियों को जल में बहा दिया जाता है.
(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)