Maharashtra: महाराष्ट्र के 50 साल की एक महिला को इंश्योरेंस कंपनी ने इंश्योरेंस देने से मना कर दिया था. वहीं अब महिला के विकलांगता का प्रमाणपत्र पेश करने के बाद कंपनी को मुआवजा देने का आदेश दिया गया.
Trending Photos
Maharashtra News: महाराष्ट्र के ठाणे में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ( MACT) ने सड़क दुर्घटना में घायल एक 50 साल की महिला को 29 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया. वह साल 2018 में एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुई थी. MACT की सदस्य SN शाह ने 18 मार्च 2025 को अपने आदेश में ठाणे स्थित बस के मालिक और बीमाकर्ता को संयुक्त रूप से मुआवजा की राशि देने का आदेश दिया. इसके अलावा MACT की ओर से याचिका दायर करने की तारीख से उसकी वसूली तक राशि पर 8 फीसदी वार्षिक ब्याज देने का भी आदेश दिया गया.
ये भी पढ़ें- भीषण गर्मी के लिए हो जाएं तैयार, मौसम विभाग का अलर्ट- यहां 7 डिग्री बढ़ेगा पारा
हादसे का शिकार हुई महिला
दरअसल मुंबई निवासी हेमा कांतिलाल वाघेला ने अपने कुछ दोस्तों के साथ न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए 31 दिसंबर साल 2017 को एक प्राइवेट बस बुक की थी. वह बस में मुंबई के नरीमन प्वॉइंट गईं थीं. इस दौरान 1 जनवरी 2018 को सुबह वापस लौटते समय बस हादसे का शिकार हो गई, जिसके चलते हेमा बुरी तरह घायल हो गई. हेमा को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया.
बस चालक के खिलाफ मामला दर्ज
हेमा के वकील बलदेव राजपूत ने MACT को बताया कि उन्हें गंभीर चोटें आईं हैं. हेमा को जसलोक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, जहां उनका लंबे वक्त तक इलाज चला. हादसे के बाद बस चालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 279 ( तेज स्पीड में गाड़ी चलाना), 337 ( जीवन को खतरे में डालने वाले काम से चोट पहुंचना) और 338 ( अपना जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले काम से गंभीर चोंट पहुंचाना) के तहत केस दर्ज किया गया.
ये भी पढ़ें- 17 साल में 14 सरकारें, नेपाल के लोग अब राजा साहब की वापसी क्यों चाहते हैं?
इंश्योरेंस कंपनी देगी 29 लाख
हादसे को लेकर हेमा वाघेला ने मोटर दुर्घटना दावा दायर कर 53.95 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की. उन्होंने कहा कि हादसे के समय वह एक कंपनी में सलाहकार के तौर पर काम कर रहीं थीं. यहां उनका मासिक वेतन 85,088 रुपये था. बीमाकर्ता ने हेमा के इस दावे का विरोध करते हुआ कहा कि याचिकाकर्ता हेमा को केवल गंभीर चोटें आईं हैं. हादसे से उनमें कोई स्थायी विकलांगता नहीं आई है. बीमाकर्ता ने कहा कि बस ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और न ही बस का कोई फिटनेस सर्टिफिकेट और रूट परमिट है, हालांकि बाद में हेमा ने 30 फीसदी विकलांगता का प्रमाणपत्र पेश किया, जिसके बाद MACT ने उनके दावे को स्वीकार कर 29 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया.