कब और कहां मिले नीतू और नवीन? नसरीन ने कैसे CA की पढ़ाई से रखा धर्मांतरण में कदम, हैरान करने वाले खुलासे!
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कब और कहां मिले नीतू और नवीन? नसरीन ने कैसे CA की पढ़ाई से रखा धर्मांतरण में कदम, हैरान करने वाले खुलासे!

Chhangur baba: छांगुर बाबा ने धर्मांतरण के जिस नेटवर्क का खड़ा किया, वह चेन्नई से निकलकर लंदन और दुबई तक फैल गया. जानिए कैसे नीतू उर्फ नसरीन की नवीन रोहरा से मुलाकात हुई. कैसे वो छांगुर बाबा के चंगुल में आए. पढ़िए और भी खुलासे.

Lucknow News
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पारस /विशाल: उत्तर प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले एक खतरनाक गिरोह की करतूतें अब परत-दर-परत खुलती जा रही हैं. छांगुर बाबा गिरोह नाम के इस नेटवर्क के खुलासे ने न केवल पुलिस प्रशासन को चौंका  कर रख दिया है. बरेली, लखनऊ, बलरामपुर, अलीगढ़ और कोलकाता समेत पूरे देश में फैले इस नेटवर्क में महिलाओं से लेकर धर्मगुरुओं तक की भूमिका सामने आई है. इस मामले में एक और कार्रवाई हुई है. सिविल लाइन क्षेत्र की युवती को अगवा कर धर्म परिवर्तन के मामले में छह साल बाद सिविल लाइन पुलिस ने एसएसपी के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज की है.  युवती के परिजनों ने गुरुवार को एसएसपी आफिस पर हंगामा किया और अनहोनी की आशंका जताई.  इसके बाद छांगुर बाबा के साथी बदर अख्तर सिद्दीकी और उनके पिता महमूद अख्तर सिद्दीकी के खिलाफ अगवा कर धर्मांतरण कराने आदि की धारा में रिपोर्ट दर्ज की गई है. जानिए और खुलासे के बारे में.

नवीन रोहरा  से कहां मिली नसरीन
नीतू उर्फ नसरीन की शुरुआत तमिलनाडु से हुई, जहां उसने चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई की.  बाद में वह लंदन की एक फर्म से जुड़ी और वहां से दुबई में नियुक्त हुई. इसी दौरान उसकी मुलाकात शिपिंग कंपनी में काम करने वाले नवीन रोहरा से हुई. दोनों सिंधी परिवार से थे, इसलिए पारिवारिक रजामंदी से शादी भी हो गई. नवीन एक वित्तीय घोटाले में फंस गया और उस पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया. यहीं से दोनों छांगुर के संपर्क में आये और उन्होंने धर्मांतरण की राह पकड़ ली. दुबई में ही नवीन का धर्मांतरण हुआ और फिर नीतू और छांगुर के कनेक्शन ने पूरे मामले को गंभीर बना दिया. दुबई छोड़ कर नीतू, नवीन बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील में आकर बस गए. पासपोर्ट की जांच में दावा है कि नीतू सिर्फ 7वीं तक पढ़ी है, लेकिन उसकी फर्राटेदार अंग्रेज़ी और अंतरराष्ट्रीय कामकाज पर पकड़ इस दावे को झूठा साबित करती है.

 मेरठ पुलिस की "लेट बट राइट" पहल
मेरठ पुलिस ने 6 साल पुराने एक गंभीर मामले में आखिरकार अपनी चूक को सुधारा है.  साल 2019 में छांगुर गैंग से जुड़े बदर सिद्दीकी द्वारा एक हिंदू युवती के अपहरण और जबरन धर्मांतरण के मामले में अब जाकर सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है. मामला तब सामने आया जब पीड़िता के परिजनों ने थाने में शिकायत दर्ज करानी चाही थी, लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी अब्दुल रहमान सिद्दीकी ने एफआईआर लेने से इनकार कर दिया था.  परिजनों की गुहार अनसुनी रह गई और पुलिस की निष्क्रियता के चलते आरोपी खुलेआम घूमता रहा. अब जब छांगुर बाबा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, तो उसके नेटवर्क पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है. गैंग से जुड़े बदर और उसके पिता के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है.  इन दोनों पर हिंदू लड़कियों को बरगला कर धर्मांतरण कराने और शोषण करने के गंभीर आरोप हैं.

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एफआईआर में बताया गया है कि बदर ने जिस युवती का धर्मांतरण कराया, उससे निकाह भी किया और बाद में उसके साथ मारपीट भी की. पीड़िता के भाई ने पुलिस को बताया कि बदर की धमकियों और मारपीट के चलते परिवार लंबे समय तक डर में रहा. पीड़ित परिवार ने हाल ही में मेरठ के पुलिस कप्तान डॉ. विपिन ताड़ा से मुलाकात कर पूरी जानकारी दी थी. कप्तान के आदेश पर तत्काल कार्रवाई करते हुए बदर और उसके पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और पूर्व थाना प्रभारी अब्दुल रहमान सिद्दीकी को निलंबित कर दिया गया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, बदर सिद्दीकी के संपर्क में कई और हिंदू युवतियां भी रही हैं, जिनमें से अब तक दो की पहचान हो चुकी है. पुलिस को शक है कि और भी युवतियों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया गया होगा. छांगुर गैंग के खिलाफ हो रही इस कार्रवाई को मेरठ पुलिस की "लेट बट राइट" पहल माना जा रहा है, लेकिन यह भी सवाल उठाता है कि अगर 2019 में ही उचित कार्रवाई होती, तो कितनी लड़कियां बच सकती थीं?

छांगुर की काली कमाई के कितने हिस्सेदार 
छांगुर की काली कमाई के कितने हिस्सेदार हैं जांच में सनसनीखेज खुलासे हुए है. छांगुर की सांठगांठ 50 से अधिक लोगों से थी. इनमें कम से कम 23 लोग स्थानीय हैं. इन लोगों में कई ग्राम प्रधान, पूर्व प्रधान, न्यायालय के कर्मचारी और उनके परिजन तक शामिल हैं. उसने अपनी काली कमाई का एक हिस्सा सरकारी कर्मचारियों, कोर्ट स्टाफ, जनप्रतिनिधियों और बिचौलियों के बीच भी दिया था ताकि उसका काम आराम से चलता रहे. अब जांच एजेंसियां इन लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.

छांगुर की खाड़ी देशों में गहरी पैठ 
छांगुर की खाड़ी देशों में गहरी पैठ है और वहीं से आने वाली विदेशी फंडिंग का वह इस्तेमाल स्थानीय प्रभाव बढ़ाने और अवैध धर्मांतरण नेटवर्क फैलाने में करता रहा. उसने नवीन और महबूब नाम के दो करीबियों को 50 करोड़ रुपये तक की जमीन खरीद-फरोख्त की छूट दी थी. छांगुर ने अलग-अलग जिलों में बिचौलियों को अग्रिम भुगतान दिया, जिनमें से कुछ सौदे सिर्फ जुबानी तौर पर तय किए गए. जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर ने अपराधियों के जमानत खर्च तक उठाए, खासकर उन अपराधियों के जो एक खास समुदाय से जुड़े थे. एजेंसियों का फोकस अब उन लोकल नेताओं, अफसरों और बिचौलियों की पहचान पर है, जिन्हें छांगुर ने अपने मिशन में साधनों और पैसे के दम पर शामिल किया.

बाबा के बुलडोजर कार्यवाही से हुआ छांगुर एक्सपोज
नेपाल भारत सीमा से सटे हुए तमाम अवैध मदरसों पर यूपी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई से  छांगुर नाराज था. इन अवैध मदरसों में अपने लोगों को छुपाता था. अवैध मदरसों की आड़ में अपने धर्मान्तरण गैंग को पनाह देता था. योगी सरकार की अवैध मदरसों पर बुलडोजर कार्यवाही के बाद छांगुर को मजबूरी में अपने घर पर धर्मान्तरण गैंग के मेंबर को  रुकवाना पड़ा. लगातार घर पर बढ़ी गतिविधियों से ही छांगुर पर जांच एजेंसीयो की  नज़र पड़ी

छांगुर अवैध मदरसों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल करता था. अवैध मदरसा संचालकों से धर्मान्तरण गैंग के मेंबर को इस्लामिक स्कॉलर बता कर उनके मदरसे में रुकवता था. छांगुर मदरसों की आड़ में ही धर्मांतरण का पूरा खेल गुपचुप तरीके से चलाता था.अवैध मदरसे पर हुई कार्रवाई के बाद छांगुर को नया ठिकाना नहीं मिल रहा था इसलिए उसने अपनी कोठी को ही बेस बनाया. फिर इसके बाद जांच एजेंसियो की रडार पर  आया.

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