Operation Sindoor: जिस समय ऑपरेशन सिंदूर पर डिबेट सोमवार को शुरू हुई, उस समय जम्मू-कश्मीर में दनादन गोलियां चल रही थीं. सेना सावन के महीने में ऑपरेशन महादेव प्रारंभ कर चुकी थी. संसद चलती रही और पता चला कि तीन आतंकी मार दिए गए हैं. लेकिन रातभर सरकार ने कन्फर्म नहीं किया. गृह मंत्री अमित शाह भी रातभर सोए नहीं. आखिर क्यों?
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क्या आप जानते हैं लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर डिबेट के दौरान सुबह गृह मंत्री अमित शाह की स्पीच थी और रातभर वह जाग रहे थे. जी हां, 29 जुलाई को उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के साथ-साथ एक और ऑपरेशन के बारे में देश को पुख्ता जानकारी दी. रातभर जागने की वजह बहुत ही महत्वपूर्ण थी. जिस दिन सेना ने ऑपरेशन महादेव के तहत तीन आतंकियों को मार गिराया, गृह मंत्री चाहते थे कि सुबह होने से पहले कन्फर्म कर लिया जाए कि पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 निर्दोष नागरिकों का कत्ल करने वाले यही थे या नहीं. इसके लिए जो हुआ, वह अब पता चला है.
साइंटिस्टों की टीम ने रातभर काम किया. श्रीनगर से चंडीगढ़ स्पेशल प्लेन भेजकर बुलेट केस का मैच कराया गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक, होम मिनिस्टर चाहते थे कि संसद को आतंकियों के मारे जाने की पुख्ता जानकारी दी जाए. इसके लिए वह सोमवार की रात चंडीगढ़ फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी से जुड़े रहे. वह फोन और वीडियो कॉल पर उन वैज्ञानिकों के संपर्क में रहे, जो ऑपरेशन महादेव के बाद बरामद बंदूकों और बुलेट केस का मैच करा रहे थे. बताया गया है कि गृह मंत्री तड़के 5 बजे तक जागते ही रहे. आराम तभी किया जब वैज्ञानिकों ने कन्फर्म कर दिया. कुछ देर की झपकी लेने के बाद वह सीधे संसद के लिए निकल गए.
फिर संसद में शाह ने किया कन्फर्म
संसद में भी शाह ने बताया कि आज सुबह 4.46 बजे साइंटिस्ट ने कन्फर्म किया कि बुलेट वही है. कल (29 जुलाई) ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान लोकसभा में शाह ने बताया, 'इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है. मेरे पास बैलिस्टिक रिपोर्ट है, 6 वैज्ञानिकों ने इसको क्रॉस-चेक किया है और वीडियो कॉल पर मुझे पुष्टि की है कि पहलगाम में चलाई गई गोलियां और इन बंदूकों से चलाई गई गोलियां 100 प्रतिशत मेल खाती हैं.'
दरअसल, जिस समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस की शुरुआत की थी, उसी समय श्रीनगर के पास एक एनकाउंटर चल रहा था. टीवी रिपोर्ट आने लगी थी. यह भी साफ हो गया कि सेना ने तीन आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया लेकिन उस दिन कन्फर्म नहीं हो सका था. सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम कई हफ्ते से आतंकवादियों के कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट कर रही थी. उस दिन एक ठिकाने पर धावा बोला गया. गोलीबारी में तीन आतंकवादी मारे गए और असॉल्ट राइफलें और ग्रेनेड जैसे अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए.
कैसे हुई पहलगाम आतंकियों की पहचान?
सुरक्षा बलों ने पहले कुछ स्थानीय निवासियों को आतंकियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. एनकाउंटर के बाद उन्हें तीनों शवों की पहचान के लिए लाया गया. उन्होंने पुष्टि की कि ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकवादी ही पहलगाम के हत्यारे थे. हालांकि सरकार के स्तर पर यह काफी नहीं था. इसके लिए वैज्ञानिक विधि से सटीक मिलान पर जोर दिया गया.
जांच के दौरान गृह मंत्री शाह को बताया गया कि आखिरी बार आतंकियों की बंदूकें (एक M9 और दो AK47) पहलगाम हमले के दौरान ही चली थीं. 3 महीने हो गए लेकिन आतंकवादी सुलेमान, अफगानी और जिबरान छिपे ही रहे. ये सभी पाकिस्तानी नागरिक थे और सुरक्षा बलों के घेरने के चलते वे भाग नहीं सके. सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि ये आतंकी बचकर भागने नहीं चाहिए.