आयुर्वेद पूर्ण रूप से विज्ञान पर आधारित चिकित्सा पद्धति है. इसलिए हजारों साल बाद भी इसका प्रभाव कम नहीं हुआ है. जिन जड़ी-बूटियों को पहले दवा के रूप में आचार्यों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था आज उसको साइंटिस्ट भी स्वीकार कर रहे हैं.
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आयुर्वेद दुनिया के सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है. माना जाता है कि इसकी शुरुआत भारत में 5000 सालों से भी पहले हुई. अब दोबारा इसके महत्व और विशेषताओं को समझने की कोशिश की जा रही है. जहां यह एक समय पर केवल घरेलू नुस्खों और रीति-रिवाजों तक सीमित माना जाता था, आज आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर खरा उतर रहा है.
आयुर्वेद सिर्फ इसकी जन्मभूमि भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में सेहत और उपचार के एक प्रभावी विकल्प के रूप में उभर रहा है. चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में दी गई जड़ी-बूटियों और उपचार विधियों की वैज्ञानिक पुष्टि पर रिसर्च हो रहे हैं. और प्रकृति की शक्ति को विज्ञान की मुहर मिल रही है. इसे आप यहां उदाहरणों से समझ सकते हैं.
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हल्दी- हर भारतीय रसोई में इस्तेमाल होने वाला एक कॉमन मसाला है. लेकिन आयुर्वेद में यह दवा है जिसका का इस्तेमाल गठिया, अल्जाइमर, कैंसर जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों ने स्टडी में पाया कि इसमें मौजूद करक्यूमिन तत्व एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है.
अश्वगंधा- इसे प्राचीन काल में "रसायन" कहा गया, आज तनाव और चिंता कम करने वाले एडाप्टोजेन के रूप में आम लोगों में तेजी से फेमस हो रही है. एथलीट भी अपने फोकस को बढ़ाने और दिमाग को शांत करने के लिए इसका सेवन कर रहे हैं.
त्रिफला – तीन फलों से तैयार किए जाने वाला ये हर्ब पाचन के लिए जाना जाता है और अब इसे डिटॉक्स और ओरल हेल्थ के लिए भी उपयोग में लाया जा रहा है.
ऑयल पुलिंग- आयुर्वेद में ओरल हेल्थ को बेहतर करने के लिए ऑयल पुलिंग को लंबे समय से प्रैक्टिस किया जाता रहा है. यह एक समय पर भारतीय घरों में सुबह की दिनचर्या थी. अब दांतों और मसूड़ों के लिए वैज्ञानिक भी इसे फायदेमंद मानते हैं.
ब्राह्मी- एकाग्रता और याददाश्त को बढ़ाने के लिए ब्राह्मी का इस्तेमाल आयुर्वेद में बहुत पुराना है. अब वैज्ञानिक इसके न्यूरोप्रोटेक्टिव गुणों के कारण इस पर शोध कर रहे हैं.
गुग्गुल- यह पहले जोड़ों के दर्द और कोलेस्ट्रॉल के लिए प्रयोग होता था, अब लिपिड प्रोफाइल को संतुलित करने में कारगर माना जा रहा है.
नीम- यह एक सामान्य पेड़ है, जो घरों के आसपास आसानी से देखने के लिए मिल जाती है. इसकी पत्तियां कड़वी होती है, जिसके कारण इसका कोई इस्तेमाल नहीं किया जाता था. लेकिन आयुर्वेद में इसके फायदों को जानने के बाद अब स्किन केयर और डेंटल प्रोडक्ट्स में इसका भरपूर इस्तेमाल हो रहा है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.