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China Inheritance Dispute: चीन के तियानजिन शहर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो किसी टीवी सीरियल की कहानी जैसा लगता है. यहां दो भाई-बहन अपने पिता की करीब ₹3.6 करोड़ (30 लाख युआन) की संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझ गए. लेकिन कोर्ट में जो सच सामने आया, उसने सबको चौंका दिया. दरअसल दोनों ही बच्चे उस पिता के जैविक संतान नहीं थे.
पिता ने बेटे को क्यों दी पूरी संपत्ति?
2025 के मार्च में मिस्टर सन की मृत्यु हो गई. उन्होंने मरने से पहले घर की पूरी मिल्कियत बेटे के नाम कर दी और यह भी कहा कि उनकी बेटी को उचित मुआवज़ा दिया जाए क्योंकि वह गोद ली हुई संतान है. सन ने लिखा था, "हमने बेटी को हमेशा अपनी तरह पाला, लेकिन बुढ़ापे में हमारा ख्याल बेटे ने रखा, इसलिए घर उसी को दिया है. उम्मीद है कि दोनों आपस में प्यार से रहेंगे."
बहन ने कोर्ट में क्यों ठोकी याचिका?
इस फैसले से बहन सहमत नहीं हुई. उसका तर्क था कि प्रॉपर्टी ट्रांसफर पेपर में सिर्फ पिता के सिग्नेचर हैं, मां के नहीं. इसलिए मां की हिस्सेदारी अब भी विरासत में शामिल होनी चाहिए. बहन का कहना था, "ये घर मेरे माता-पिता ने मुझे दिया है, कोई इसे मुझसे नहीं छीन सकता."
कोर्ट में क्या हुआ बड़ा खुलासा?
बहन ने कोर्ट में एक दमदार सबूत पेश किया. उसने भाई के कागज दिखाए जिसमें साफ लिखा था कि वो भी गोद लिया गया था. ये सुनते ही भाई कोर्ट में रो पड़ा. उसने कहा कि उसकी बहन तो 1990 के दशक से परिवार से अलग हो चुकी है और माता-पिता का आखिरी वक्त तक वही ख्याल रखता रहा.
फिर क्या हुआ फैसला?
कोर्ट ने बताया कि संपत्ति का ट्रांसफर 2007 में ही लीगल तरीके से और नोटराइज होकर हो चुका था, इसलिए अब वो "विरासत" का हिस्सा नहीं मानी जाएगी. हालांकि दोनों पक्षों में बहस के बाद सेटलमेंट किया गया. घर बेटे के पास ही रहेगा, लेकिन उसे अपनी बहन को ₹66 लाख (5.5 लाख युआन) का मुआवज़ा देना होगा.
सोशल मीडिया पर क्या बोले लोग?
सोशल मीडिया पर लोग हैरान रह गए कि दोनों बच्चे गोद लिए हुए थे, लेकिन बहन को इस बारे में पहले से पता था और भाई को कभी बताया नहीं गया. शायद यही वजह थी कि परिवार में दरार आई. कई लोगों ने इसे भावनाओं और संपत्ति का टकराव कहा.