China Tibet Railway Project: ब्रह्मपुत्र पर बनने वाले चीन के सबसे बड़े डैम को लेकर चिंता खत्म नहीं हुई थी कि ड्रैगन ने एक और बड़े प्रोजेक्ट पर कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. चीन दुनिया के सबसे अहम रेलवे प्रोजेक्ट पर काम करने जा रहा है, जो चीन को तिब्बत से जोड़ देगा. यह रेलवे प्रोजेक्ट भारत के नजरिये से भी काफी अहम, चलिए जानते हैं कि कैसे और क्यों यह प्रोजेक्ट भारत को प्रभावित करेगा?
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के लिए एक कंपनी बनाई गई है, जिसे 95 अरब युआन (13.2 अरब अमेरिकी डॉलर) आधिकारिक तौर पर अलॉट किए गए हैं.
यह रेलवे लाइन मौजूदा ल्हासा-शिगात्से को नए होतान-शिगात्से मार्ग से जोड़ेगी, जिससे चीन के उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम के बीच लगभग 2000 किलोमीटर (1240 मील) लंबा रणनीतिक गलियारा बनेगा.
यह तिब्बत को अन्य प्रांतों से जोड़ने वाली चार रेलवे लाइनों में से एक है. अन्य रेलमार्ग इस इलाके को किंघई, सिचुआन और युन्नान से जोड़ेंगे. किंघई-तिब्बत लाइन पहले से ही चालू है, जबकि अन्य दो पर अभी-भी काम जारी है.
झिंजियांग-तिब्बत रेलवे प्रोजेक्ट अक्साई चिन से होकर गुजरेगा, जो LOC के सटा हुआ है. ऐसे में भारत की भी इस प्रोजेक्ट पर नजरें टिकी हुई हैं.
अगर यह देखें कि इस रेलवे लाइन का भारत पर क्या असर पड़ेगा तो इसका जवाब है कि इस रेल मार्ग के कुछ हिस्से चीन-भारत के वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास से गुजरेंगे. यह इलाका काफी दूरदराज और रक्षा के लिहाज से संवेदनशील है.
इसके अलावा इस रेलवे लाइन की लगभग ऊंचाई 4500 मीटर बताई जा रही है. यह कुनलुन, काराकोरम, कैलाश और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरेगी, जहां ग्लेशियर, जमी हुई नदियां और पर्माफ्रॉस्ट (जमी हुई जमीन) मौजूद हैं. ऐसे इलाके में कोई भी बुनियादी ढांचा बनाना भारत के लिए सुरक्षा जोखिम माना जाता है.
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