Gajalakshmi Rajyog: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली में शुभ ग्रहों के योग से गजलक्ष्मी राजयोग का निर्माण होता है. आइए जानते हैं कि यह राजयोग किस प्रकार सुख, ऐश्वर्य और धन के लिए शुभ है.
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Gajalakshmi Rajyog: ज्योतिष शास्त्र में गजलक्ष्मी राजयोग को अत्यंत शुभ और दुर्लभ योग माना गया है. यह योग जीवन में ऐश्वर्य, सम्मान, ज्ञान और भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करने वाला होता है. “गजलक्ष्मी” शब्द का अर्थ है- गज (हाथी) और लक्ष्मी का संगम, जो वैभव, धन और समृद्धि का प्रतीक है. जब कुंडली में धन और सुख के कारक शुक्र तथा सौभाग्य और ज्ञान के कारक गुरु विशेष स्थिति में होते हैं, तब यह राजयोग बनता है. इस राजयोग के शुभ प्रभाव से जातक को राजा जैसा सुख-ऐश्वर्य और धन-दौलत प्राप्त होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कुंडली में गजलक्ष्मी राजयोग कैसे बनता है और इस योग से क्या लाभ होते हैं.
कैसे बनता है गजलक्ष्मी राजयोग?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि गुरु और शुक्र जन्म कुंडली के केंद्र भावों (1, 4, 7 या 10 भाव) में साथ स्थित हों, तो यह योग बनता है. केंद्र भाव शुभ ग्रहों के लिए अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं.
दृष्टि संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर गुरु और शुक्र एक-दूसरे को देखते हों- जैसे गुरु 1st भाव में और शुक्र 7th भाव में, या गुरु 4th भाव में और शुक्र 10th भाव में- तो यह योग सक्रिय हो सकता है.
शुभ राशियों में स्थिति
गुरु के लिए- धनु, मीन और कर्क शुभ राशियां हैं.
शुक्र के लिए- वृष, तुला और मीन शुभ राशियां हैं.
दशा और अंतर्दशा का समर्थन
यह योग जीवन में तभी फलित होगा जब गुरु या शुक्र की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो.
योग को बल देने वाली विशेष परिस्थितियां
गुरु और शुक्र पर पाप ग्रहों (शनि, राहु, केतु, मंगल) की दृष्टि न हो.
दोनों ग्रह नीच राशि में न हों.
यह स्थिति लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली दोनों से शुभ हो.
गजलक्ष्मी राजयोग के फल
अपार धन-संपत्ति और भौतिक सुख-सुविधाएं
गहने, वाहन और विलासिता का जीवन
समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान
ज्ञान, कला और रचनात्मकता में सफलता
वैवाहिक जीवन में सौहार्द और सुख
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)