वेब ब्राउजर Firefox को चीन में बंद करने की खबरें आ रही हैं. एक वक्त वो भी था जब पूरी दुनिया में फायरफॉक्स का डंका बजता था. वहीं, अब इसे चीन में बंद करने की बड़ी वजहें सामने आने लगी हैं.
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वेब ब्राउजर Firefox को लेकर इस समय बड़ी खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि कभी माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर को चुनौती देने वाला यह फायरफॉक्स अब चीन में बंद किया जा सकता है. कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फायरफॉक्स के चीनी वर्जन ने एक नोटिस जारी किया है, जिसमें यूजर्स को सूचना दी गई है कि वेब ब्राउजर के चीन के अकाउंट को खत्म किया जा रहा है. इसी हफ्ते जारी किए गए इस नोटिस में आगे यह भी बताया गया है कि फिलहाल कुछ समय के लिए सॉफ्टवेयर मार्केट में उपलब्ध होगा, लेकिन बाद में इसे भी हटा दिया जाएगा.
फायरफॉक्स के कर्मचारी ने सूचना
हाल ही में फायरफॉक्स के कर्मचारी ने फायरफॉक्स के मालिक मोजिला के चीनी भाषा के ऑनलाइन फोरम पर एक मैनुअल पब्लिश किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि कैसे यूजर्स अपना डाटा और कॉन्फिगरेशन फाइलों का बैकअप पुनर्स्थापित कर सकते हैं. बता दें कि 2004 में ओपन-सोर्स के तौर पर लॉन्च किया गया फायरफॉक्स अपनी तेज स्पीड, प्राइवेसी प्रोटेक्शन और कस्टमाइजेशन ऑप्शन की वजह से जल्दी ही लोगों का पसंदीदा वेब ब्राउजर बन गया.
2000 में लोकप्रिय था माइक्रॉसॉफ्ट
एक वक्त था जब माइक्रासॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर को कड़ी टक्कर देने वाला फायरफॉक्स 2000 के दशक के अंत तक बेहद लोकप्रिय हो चुका था. 2009 में माइक्रासॉफ्ट दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ब्राउजर बन चुका था. लेकिन बाद में वक्त के साथ इसकी पॉपुलैरिटी लगातार गिरती गई, खासकर चीन में इसकी लोकप्रियता तेजी से गिरती हुई देखी गई.
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Google Chrome ने दे दी मात
2009 के समय में इसका वैश्विक बाजार में हिस्सा 30% तक हो गया था, जबकि इंटरनेट एक्सप्लोरर का हिस्सा 60% था. इंटरनेट ट्रैफिक ट्रैकर StatCounter के मुताबिक मोबाइल इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने फायरफॉक्स को पीछे छोड़ शुरू कर दिया. इसके बाद नवंबर 2011 तक Google Chrome ने इसे मार्केट शेयर में बुरी तरह पछाड़ दिया. आज चीन में भी Google Chrome और Safari जैसे वेब ब्राउजर का इस्तेमाल किया जा रहा है.