चारों तरफ मचेगा हाहाकार, जंग के बीच ईरान ने घोंट दी दुनिया के 'गले की नस', क्या है स्ट्रेट ऑफ होरमुज?
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चारों तरफ मचेगा हाहाकार, जंग के बीच ईरान ने घोंट दी दुनिया के 'गले की नस', क्या है स्ट्रेट ऑफ होरमुज?

Strait Of Hormuz Closure: अमेरिका के ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान पर भारी बमबारी के बाद तेहरान एक बड़ा फैसला लिया है. ईरानी संसद ने 'स्ट्रेट ऑफ होरमुज' को बंद करने की मंजूरी दे दी है. ऐसे में चलिए जानते  हैं 'स्ट्रेट ऑफ होरमुज' इतना अहम क्यों है?

 

चारों तरफ मचेगा हाहाकार, जंग के बीच ईरान ने घोंट दी दुनिया के 'गले की नस', क्या है स्ट्रेट ऑफ होरमुज?

Iran Israel War: मीडिल ईस्ट में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं. ईरान और इजराइल के बीच पिछले कई दिनों से जंग चल रही है, लेकिन अब इसमें एक अमेरिका  भी कूद पड़ा है. इससे तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया है. अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसके जवाब में ईरान ने अब एक ऐसा फैसला लिया है जिससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है. ईरानी संसद ने 'स्ट्रेट ऑफ होरमुज' को बंद करने की मंजूरी दे दी है.

तेहरान ने ये फैसला अमरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान पर भारी बमबारी के बाद लिया है. हालांकि, ईरान पहले से ही स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की धमकियां दे रहा था.  ऐसे में चलिए जानते  हैं 'स्ट्रेट ऑफ होरमुज' भारत समेत पूरी दुनिया के लिए इतना अहम क्यों है?

मार्को रुबियो ने चीन से ये आग्रह किया 
वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से आग्रह किया कि वह ईरान को होर्मुज जलडमरूमध्य में तेल गलियारा बंद न करने के लिए प्रोत्साहित करे. फॉक्स न्यूज से बात करते हुए रुबियो ने कहा, 'मैं बीजिंग में चीनी सरकार को इस बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, क्योंकि वे अपने तेल के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य पर बहुत अधिक निर्भर हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'अगर वे ऐसा करते हैं, तो यह एक और भयंकर गलती होगी. अगर वे ऐसा करते हैं, तो यह उनके लिए आर्थिक आत्महत्या होगी. और हमारे पास इससे निपटने के लिए विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अन्य देशों को भी इस पर विचार करना चाहिए. इससे अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को हमारी अर्थव्यवस्था से कहीं ज्यादा नुकसान होगा.' 

'स्ट्रेट ऑफ होरमुज' क्यों है अहम?
दुनिया का करीब 20 फिसदी तेल और गैस होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है. इसके एक तरफ ईरान का बॉर्डर है जबकि दूसरी तरफ ओमान और UAE है. यह फारस की खाड़ी को अरब सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है. सबसे संकरी जगह पर करीब 33 किलोमीटर चौड़ी यह संकरी नहर ईरान (उत्तर) को अरब प्रायद्वीप (दक्षिण) से भी अलग करती है. यह वही समुद्री रास्ता है जिससे होकर दुनिया के एक तिहाई से ज़्यादा तेल टैंकर गुजरते हैं. जबकि ईरान का कहना है कि अगर उसके देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जाएगा, तो वो भी चुप नहीं बैठेगा. ईरान के इस फैसले के बाद न सिर्फ मीडिल ईस्ट, बल्कि पूरी दुनिया में चिंता की लहर दौड़ गई है. क्योंकि इससे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं और वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है.

होरमुज स्ट्रेट का इतिहास
सामान्य सा दिखने वाले इस रास्ते पर नजर अमेरिका समेत की देशों की बनी होती है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस रास्ते से हर रोज करीब 33 करोड 39 लाख लीटर कच्चे तेल की सप्लाई होती है.

भारत पर कितना होगा असर?
अमेरिकी एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, इस रास्ते से जो भी कच्चा तेल भेजा जाता है उसका 80-85 फीसदी हिस्सा भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन जैसे एशियाई देशों में सप्लाई होता है.  यानी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत अपने कच्चे तेल का करीब 40% और गैस का तकरीबन आधा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait Of Hormuz) के जरिए ही लेता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत की स्थिति अपनी विविध आयात रणनीति के कारण सुरक्षित बनी हुई है, जिसमें आपूर्ति निरंतरता बनाए रखने के लिए रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील सहित वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता मौजूद हैं.

लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि इस महत्वपूर्ण ऊर्जा आपूर्ति क्षेत्र में बढ़ते तनाव से तेल के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे संभावित रूप से तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं. हालांकि, इस वक्त रूस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है, जिसका वर्तमान आयात मध्य पूर्वी देशों से होने वाले कुल आयात से ज्यादा है.

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