China Population Crisis: चीन की सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. इस विंटर सीजन से पब्लिक किंडरगार्टन में आखिरी साल के बच्चों की ट्यूशन फीस माफ करने का ऐलान किया है. चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल ने मंगलवार को कहा कि यह कदम, प्रीस्कूल एजुकेशन को प्री बनाने की चरणबद्ध योजना का हिस्सा है.
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China Population Crisis: चीन की सरकार अपने जन्म दर को ठीक करने के लिए लगातार नए-नए प्रयोग कर रही है. चीन ने इस विंटर सीजन से पब्लिक किंडरगार्टन में आखिरी साल के बच्चों की ट्यूशन फीस माफ करने का ऐलान किया है. इससे पहले सरकार ने अब बच्चे जन्म देने पर पिता को 1 लाख 30 हजार रुपए सब्सिडी के तौर पर देने का फैसला किया किया था. सरकर की ये कोशिशें देश में गिरती जन्म दर को कम करने के लिए है.
चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल ने मंगलवार को कहा कि यह कदम, प्रीस्कूल एजुकेशन को प्री बनाने की चरणबद्ध योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद शिक्षा की लागत को प्रभावी ढंग से कम करना और बुनियादी सार्वजनिक शिक्षा सेवाओं के स्तर में सुधार करना है.
अप्रूव्ड प्राइवेट किंडरगार्टन में पढ़ने वाले बच्चों की ट्यूशन फीस भी कम कर दी जाएगी. खास बात यह है कि छूट उस इलाके में मौजूद पबल्कि किंडरगार्टन के बराबर होगी. हालांकि, माता-पिता को अभी भी मील एक्सपेंस और एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज जैसे बाकी शु्ल्क का भुगतान करना होगा. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के चीफ डिंग शुआंग ने कहा, 'इन उपायों को पिछली कंजप्शन पॉलिसी की निरंतरता के रूप में देखा जा सकता है.' उन्होंने आगे कहा कि भले ही इनका प्रभाव अनिश्चित हो, फिर भी ये सही दिशा में उठाया गया कदम है.'
नई नीति से ट्यूशन रेवेन्यू के नुकसान की भरपाई के लिए किंडरगार्टनों को सब्सिडी दी जाएगी, जिसका फंड केंद्रीय और स्थानीय सरकारों द्वारा साझा किया जाएगा. स्टेट काउंसिल द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक, लवोकल इलाके की वित्तीय स्थिति के आधार पर बीजिंग कुल लागत का कम से कम आधा तथा अधिकतम 80 फीसदी तक फंड करेगा. पिछले सप्ताह, चीन ने बाल देखभाल नकद सब्सिडी की घोषणा की थी, जो नेशनल लेवल पर अपनी तरह की पहली योजना है. इसके तहत माता-पिता को तीन साल से कम उम्र के प्रत्येक बच्चे के लिए हर साल 3,600 युआन (43,938 भारतीय रूपये ) की सहायता राशि दी जाएगी.
नई नीतियां ऐसे वक्त में पेश की जा रही हैं, जब चीन घटती जन्म दर और तेजी से बढ़ती वृद्ध होती जनसंख्या के रूप में एक खतरनाक जनसांख्यिकीय टाइम बम का सामना कर रहा है. अर्थशास्त्री डिंग ने कहा, 'हालांकि जन्म दर ऐसी चीज नहीं है जिसे केवल एक या दो उपायों से बदला जा सके, लेकिन इन उपायों से बच्चों को जन्म देने और उनके पालन-पोषण की लागत में मामूली कमी आ सकती है.'
बीजिंग स्थित यूथ पोपुलेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा पिछले साल जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों की परवरिश के मामले में चीन दुनिया के सबसे महंगे देशों में से एक है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में 18 साल की उम्र तक एक बच्चे की परवरिश का औसत खर्च 5,38,000 युआन यानी 65,66,343 भारतीय रूपये है, जो देश के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद से छह गुना ज़्यादा है.
जबकि चीन की जनसंख्या में पिछले साल 1.39 मिलियन की गिरावट आई है. यह लगातार तीसरा साल है जब जनसंख्या में गिरावट आई है. हालांकि, पिछले रिकॉर्ड के मुताबिक जन्म दर में मामूली वृद्धि हुई है. इसके बावजूद पिछले साल जन्मे 9.54 मिलियन बच्चे 2016 की संख्या के आधे से कुछ ही ज्यादा थे, जब बीजिंग ने अपनी दशकों पुरानी सख्त जनसंख्या नियोजन नीतियों में ढील दी थी. जन्म दर में गिरावट की वजह देश भर के किंडरगार्टन भी बंद करने पर मजबूर हो रहे हैं. शिक्षा मंत्रालय ने जून में बताया था कि पिछले साल चीन में 2,53,300 किंडरगार्टन थे, जो पिछले साल की तुलना में 7.7 फीसदी कम है.
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