Saudi Arabia News: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश में अनैतिक गतिविधियों की निगरानी और ऐसे क्राइम में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए एक विशेष पुलिस यूनिट का गठन किया है. इस नई यूनिट ने अब तक 50 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट किया है, जिसमें 11 महिलाओं को जिस्मफरोशी के इल्जाम में अरेस्ट किया है.
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Saudi Arabia News: सऊदी अरब अपने सख्त कानूनों और इबरतनाक सजा देने के लिए जाना जाता है. यहां हर साल कई मुजरिमों को मौत की सजा दी जाती है. सऊदी कानून इस्लामिक शरीयत की बुनियाद पर है, जहां कत्ल, रेप, ड्रग तस्करी, दहशतगर्दी और देशद्रोह जैसे जुर्म के लिए फांसी, सिर कलम करना या सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी जाती है. अब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान एक और बड़ा कदम उठाया है. इसपर 150 शब्दों में इंट्रो लिखें
दरअसल, प्रिंस MBS ने देश में अनैतिक गतिविधियों की निगरानी और ऐसे क्राइम में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए एक विशेष पुलिस यूनिट (Special Police Unit Team ) का गठन किया है. इस नई यूनिट ने अब तक 50 से ज्यादा लोगों को जिस्मफरोशी और भीख मांगने के इल्जाम में अरेस्ट किया है. यह यूनिट आंतरिक मंत्रालय ( Interior Ministry ) के तहत काम करेगी और इसका मुख्य दशक कम्युनिटी सेफ्टी और इंसानी स्मगलिंग पर लगाम लगाना है.
पहली बार जिस्मफरोशी का मामला उजागर हुआ
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्पेशल पुलिस यूनिट ने 11 महिलाओं को जिस्मफरोशी के इल्जाम में अरेस्ट किया है. यह पहली बार है जब सऊदी सरकार ने सार्वजनिक रूप से देश में जिस्मफरोशी जैसे गैर-कानूनी धंधे की मौजूदगी को एक्सेप्ट किया है. इसके अलावा, कई विदेशियों को भी अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. खासतौर पर मसाज पार्लरों में अनैतिक कार्य करने और महिलाओं व बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करने के मामले सामने आए हैं.
इस यूनिट की जरूरत क्यों पड़ी?
सऊदी अरब में पहले भी नैतिकता को बनाए रखने के लिए एक मजहबी पुलिस फोर्स 'कमेटी फॉर द प्रमोशन ऑफ वर्चू एंड द प्रिवेंशन ऑफ वाइस' (Committee for the Promotion of Virtue and the Prevention of Vice) बनाई गई थी. यह कमेटी देश में धार्मिक और सामाजिक नियमों को लागू करने का काम करती थी. हालांकि, साल 2016 में सऊदी सरकार ने इस धार्मिक पुलिस की ताकत को सीमित कर दिया था. इसे क्राउन प्रिंस के सामाजिक और आर्थिक सुधारों का हिस्सा माना गया था, जिससे देश में कड़े सामाजिक और धार्मिक प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम किया जा सके.
अब इस नई यूनिट के गठन की असली वजह साफ नहीं है, लेकिन सऊदी समाचार पत्र ओकाज़ डेली के लेखक खालिद अल-सुलेमान का मानना है कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनैतिक गतिविधियों के विज्ञापन तेजी से बढ़े हैं, जिससे सऊदी समाज की इमेज खराब हो रही है. इसी कारण सरकार पर ऐसे मामलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दबाव बना और इस यूनिट का गठन किया गया.
लोगों की प्रतिक्रिया
इस कदम को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है. सोशल मीडिया पर कई लोग इस फैसले की सराहना कर रहे हैं और इसे मानव तस्करी, नशाखोरी और जिस्मफरोशी के खिलाफ एक अच्छा कदम मान रहे हैं. उनका कहना है कि इससे सऊदी समाज में नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में मदद मिलेगी.
हालांकि, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इस यूनिट का गठन सरकार द्वारा सामाजिक नियंत्रण को मजबूत करने और नैतिकता को लेकर सख्ती बढ़ाने की कोशिश हो सकती है. सऊदी सरकार पिछले कुछ सालों में सामाजिक सुधारों के तहत महिलाओं को गाड़ी चलाने की इजाजत देने और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को बढ़ावा देने जैसे कदम उठा चुकी है. लेकिन इस नई यूनिट के गठन से सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार दोबारा पुराने कड़े नियमों की ओर लौट रही है?