Diwali 2024: एक नवंबर को मना रहे हैं दिवाली तो जान लें लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय, चूक मत जाना
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Diwali 2024: एक नवंबर को मना रहे हैं दिवाली तो जान लें लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय, चूक मत जाना

1 November 2024 Muhurat: इस साल दिवाली गुरुवार को मनाई जा रही है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में यह त्यौहार शुक्रवार को मनाया जाएगा.

Diwali 2024: एक नवंबर को मना रहे हैं दिवाली तो जान लें लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय, चूक मत जाना

Diwali 2024: देश भर में दिवाली की धूम है. रोशनी का त्योहार और हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है दिवाली. दिवाली आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच पड़ता है, लेकिन हिंदू कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होने के कारण हर साल इसकी सटीक तारीख अलग-अलग होती है.

  1. क्या आप भी एक नवंबर को मनाएंगे दिवाली?
  2. लक्ष्मीपूजन का समय किस प्रकार रहेगा?

इस साल दिवाली गुरुवार को मनाई जा रही है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में यह त्यौहार शुक्रवार को मनाया जाएगा.

दिवाली से पहले लोग अपने घरों की सफाई और व्यवस्था करते हैं. नए कपड़े खरीदे जाते हैं और दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों के साथ मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है.

क्या आप भी एक नवंबर को मनाएंगे दिवाली?
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या दिनाङ्क 01 नवंबर 2024 को प्रदोषकाल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनायी जायेगी. लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है. अमावस्या इस दिन सायं 06:17 तक रहेगी.

लक्ष्मीपूजन का समय इस प्रकार रहेगा
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त:-
दिवाकाल का श्रेष्ठ चौघड़िया
-चर लाभ अमृत का चौघड़िया :- प्रातः 6:40 से प्रातः 10:47 तक
-अभिजीत :-  प्रातः 11:46 से दोपहर 12:34 तक 
-शुभ का चौघड़िया :- दोपहर 12:10 से दोपहर 01:33 तक
-चर का चौघड़िया :- सायं 04:17 से सायं 05:40 तक

रात्रि का श्रेष्ठ चौघड़िया
-लाभ का चौघड़िया :- रात्रि 08:57 से रात्रि 10:34 तक
-शुभ-अमृत-चर का चौघड़िया :- मध्यरात्रि 12:10 से अंतरात्रि 05:02 तक

सर्वश्रेष्ठ समय
-प्रदोष काल ( लग्न ) - सायं 05:40 - रात्रि 08:16 तक
-इसके अतिरिक्त सायं 06:41 से सायं 06:53 (इसमें प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्र एवं कुम्भ का नवमांश रहेगा) तक रहेगा.
-वृष काल ( लग्न ) – सायं 06:31 - रात्रि 08:28 तक
-सिंह काल ( लग्न )  - मध्यरात्रि 01:01 - अन्तरात्रि 03:17 तक

जैसे ऊपर बताया गया कि लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है. तो ऐसे में प्रदोष काल आदि का समय ऊपर दिया गया है तो उसी प्रकार अपना पर्व मनाएं.

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नितिन अरोड़ा

लिखने के शौकीन हैं, पिछले 6 सालों से अधिक समय से मीडिया के कई अलग-अलग संस्थानों में काम कर चुके हैं और फिलहाल Zee News की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं. यहां जनरल न्यूज व नेशनल, इंटरनेशनल खबरों पर एक्सप...और पढ़ें

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