Bharat Bandh Constitutional or Unconstitutional? सुप्रीम कोर्ट ने कई बार माना है कि हड़ताल असंवैधानिक नहीं हो सकती. पहले जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एक फैसले में कहा था, 'हड़ताल कभी असंवैधानिक नहीं हो सकती. विरोध करने का अधिकार एक मूल्यवान अधिकार है. हम हड़ताल को असंवैधानिक कैसे कह सकते हैं?
Trending Photos
Bharat Bandh Tomorrow: बैंकिंग, बीमा, कोयला खनन, डाक और निर्माण जैसे सार्वजनिक सेवा क्षेत्रों के 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी बुधवार (Bharat Bandh 9 July) को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में अपनी भागीदारी के लिए तैयार हैं. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगियों के गठबंधन ने सरकार की 'मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों' के विरोध में 'भारत बंद' का आह्वान किया है.
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने कहा, 'हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों के भाग लेने की उम्मीद है. देश भर में किसान और ग्रामीण कर्मचारी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे.'
जारी एक औपचारिक बयान के अनुसार, इसमें 'राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को सफल बनाने' पर जोर दिया गया है. साथ ही औपचारिक और अनौपचारिक/असंगठित अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों की यूनियनों ने सक्रिय रूप से तैयारी शुरू कर दी है.' हालांकि, यहां सवाल ये कि क्या भारत बंद संवैधानिक है या असंवैधानिक?
भारत बंद के क्या हैं मायने?
देश में बंद, हड़ताल, आंदोलन बहुत आम हैं, लेकिन इनकी संवैधानिकता अभी भी भ्रामक है. कई बार इन्हें संघ और यूनियन बनाने के मौलिक अधिकार यानी अनुच्छेद 19(1) से जोड़ दिया जाता है. लेकिन यह कितना सही है?
सुप्रीम कोर्ट ने कई बार माना है कि हड़ताल असंवैधानिक नहीं हो सकती. पहले जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एक फैसले में कहा था, 'हड़ताल कभी असंवैधानिक नहीं हो सकती. विरोध करने का अधिकार एक मूल्यवान अधिकार है. हम हड़ताल को असंवैधानिक कैसे कह सकते हैं?
बंद क्या है?
बंद विरोध का एक रूप है जिसका उपयोग मुख्य रूप से भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों में राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है. यह हड़ताल से समानता रखता है. बंद के दौरान एक समुदाय आम हड़ताल भी कर सकता है. यह सिविल अवज्ञा का एक रूप है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है, जो भारतीय नागरिकों को यूनियनों से जुड़ने का अधिकार देता है. संविधान का अनुच्छेद 19 नागरिकों के अधिकारों की तुलना में राज्य की शक्तियों को भी प्रतिबंधित करता है.
यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को अपने विचार, राय, विश्वास, धारणा और दृढ़ विश्वास व्यक्त करने की स्वतंत्रता देता है. एक तरह से यह किसी भी नागरिक को मौखिक रूप से, लिखित रूप से, चित्र या किसी अन्य तरीके से अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार देता है.
बंद, हड़ताल या हड़ताल पर सुप्रीम कोर्ट और सरकार का रुख
1961 में सुप्रीम कोर्ट ने कामेश्वर प्रसाद बनाम बिहार राज्य मामले में कहा था कि अनुच्छेद 19(1)(सी) की उदार व्याख्या से भी यह निष्कर्ष निकलेगा कि ट्रेड यूनियनों को हड़ताल करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है.
हालांकि, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताल करने के अधिकार के साथ 19(1) द्वारा गारंटीकृत संघों के गठन के विचार को खारिज कर दिया था.
बाद में कोर्ट के कई फैसलों में यह भी कहा गया कि हड़ताल करने के अधिकार को मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता. टी.के. रंगराजन बनाम तमिलनाडु सरकार के मामले में कोर्ट ने कहा कि सामूहिक हड़ताल कानूनी नहीं हो सकती. इसने कहा, 'सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल करने का कोई कानूनी, नैतिक या न्यायसंगत अधिकार नहीं है.'
बी.आर. सिंह और अन्य बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हड़ताल करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है, हालांकि, सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित किए बिना संघ बनाने के अधिकार को एक अधिकार के रूप में गिना जा सकता है.
9 जुलाई को भारत बंद क्यों?
PTI के मुताबिक, बंद में शामिल होने जा रहे लोगों की सरकार से मांग बेरोजगारी दूर करने, स्वीकृत पदों पर भर्ती करने, अधिक नौकरियों का सृजन करने, मनरेगा श्रमिकों के कार्य दिवस और पारिश्रमिक में वृद्धि करने तथा शहरी क्षेत्रों के लिए समान कानून बनाने से है. कौर का कहना है कि सरकार नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ELI (रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना लागू करने में व्यस्त है.'
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.