Brahmos 2 Missile Speed: भारत की डिफेंस पावर लगातार बढ़ रही है. जिसके लिए एडवांस मिसाइलों का जखीरा तैयार किया जा रहा है. हाल ही में, भारत ने पाकिस्तान में घुसकर जिस ब्रह्मोस मिसाइल से तबाही मचाई थी, उसका अपडेटेड वर्जन आने वाला है.
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Brahmos 2 Missile upgrade version: पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद गुस्ताखी की कोशिश की, जिसके बाद भारतीय सेना ने उसके सैन्य बेसों को धुंआ-धुंआ कर दिया. यह नजारा दुनिया भर ने देखा. जिसके बाद उस मिसाइल की चर्चा जोरों पर होने लगी, जिसने पाकिस्तान में घुसकर तबाही मचाई थी. हम बात कर रहे हैं ‘ब्रह्मोस मिसाइल’ की. जिसका पाकिस्तान ने अभी महज ट्रेलर ही देखा है, इसका अपडेटेड वर्जन पूरी पिक्चर दिखा देगा. आइए जानते हैं, अपडेटेड वर्जन ‘ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल’ की असली ताकत. जिस पर भारत जोरो-शोरों से काम कर रहा है.
ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल
हाल ही में, भारतीय सुरक्षा बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत अपनी मिसाइल ताकत दुनिया को दिखाई. इस ऑपरेशन में मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान के आतंकी और मिलिट्री ठिकानों पर सटीक हमले किए और उन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने भी इस बात को माना कि ब्रह्मोस मिसाइल हमलों ने उन्हें पूरी तरह से हैरान कर दिया.
ऐसे में इस कामयाबी के बाद, भारत अब अपनी अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 (BrahMos-2) के डेवलपमेंट में तेजी ला रहा है.
क्या है ब्रह्मोस-2 की खासियत?
ब्रह्मोस-2 एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी, जिसका मतलब है कि इसकी स्पीड आवाज की स्पीड से 5 ज्यादा होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे मैक 6 से मैक 8 यानी आवाज की स्पीड से 6 से 8 गुना ज्यादा तेज की स्पीड तक पहुंचने के लिए डिजाइन किया जा रहा है. इतनी तेज रफ्तार के चलते दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम के पास इसे रोकने के लिए सेकेंड भर का भी समय नहीं मिलेगा.
क्या होगी इसकी रेंज?
मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किमी से 800 किमी तक है. लेकिन ब्रह्मोस-2 की मारक क्षमता को काफी बढ़ाया जाएगा. इसका टारगेट रेंज 1,500 किलोमीटर तक होगा. इससे भारतीय सेना को दुश्मन के बहुत अंदरूनी ठिकानों तक पहुंचने की जबरदस्त क्षमता हासिल होगी.
क्या-क्या किया जा रहा अपडेट?
IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मोस-2 में सबसे बड़ा अपडेट इसका स्क्रैमजेट इंजन होगा. मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल में रैमजेट इंजन का इस्तेमाल होता है. स्क्रैमजेट इंजन हाइपरसोनिक स्पीड पर हवा में मौजूद ऑक्सीजन का इस्तेमाल करके और ज्यादा एफिशिएंट तरीके से काम करता है.
इससे मिसाइल हल्की होगी और उसकी रफ्तार व रेंज दोनों बढ़ेंगी. इसके डिजाइन पर भी रूस की 3M22 जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल का असर देखा जा सकता है.
कब तक बनकर होगी तैयार?
ब्रह्मोस-2 प्रोजेक्ट की घोषणा 2008 में हुई थी, लेकिन कुछ टेक्नोलॉजी और फाइनेंशियल चैलेंजेस की वजह से इसमें देरी हुई. अब, ग्लोबल लेवल पर हाइपरसोनिक हथियारों की रेस तेज होने के बाद, भारत और रूस ने मिलकर इसके डेवलपमेंट में तेजी लाने का फैसला किया है. उम्मीद है कि इसके फ्लाइट टेस्ट 2026 या 2027 तक शुरू हो सकते हैं.
भारत-रूस का ज्वाइंट वेंचर
ब्रह्मोस-2 का डेवलपमेंट भारत और रूस के बीच ब्रह्मोस एयरोस्पेस के तहत एक ज्वाइंट वेंचर है. दोनों देशों के बीच इस हाइपरसोनिक सिस्टम के डेवलपमेंट को लेकर हाई-लेवल बातचीत जल्द शुरू होने वाली है. यह पार्टनरशिप भारत की डिफेंस कैपेबिलिटीज को और मजबूत करेगी और आत्मनिर्भर भारत मिशन में भी मदद करेगी.
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की ताकत
'ऑपरेशन सिंदूर' में मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल ने अपनी 'फायर-एंड-फॉरगेट' कैपेबिलिटी यानी एक बार लॉन्च करने के बाद खुद टारगेट को ढूंढकर मार गिराने की क्षमता से सभी टारगेट्स को सफलतापूर्वक तबाह किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने 15 ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया था, जिससे पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम और कमांड सेंटर्स को भारी नुकसान हुआ. इसी की मदद से पाकिस्तान के कई एयरबेस, जिनमें नूर खान एयरबेस भी शामिल है, को निशाना बनाया गया था.
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