Rajni Pandit: भारत की देसी 'शेरलॉक होम्स' कहलाती है ये महिला जासूस, जानें एक आम घर की लड़की कैसे बनी नामी डिटेक्टिव?
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Rajni Pandit: भारत की देसी 'शेरलॉक होम्स' कहलाती है ये महिला जासूस, जानें एक आम घर की लड़की कैसे बनी नामी डिटेक्टिव?

देश में कई विभागों में महिलाएं साबित कर रही हैं कि वह किसी भी काम में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. जासूसी की दुनिया में भी महिलाओं ने दम दिखाया है. ऐसी ही एक महिला हैं रजनी पंडित, जो अपने पैशन को फॉलो करते हुए देश की पहली फीमेल प्राइवेट डिटेक्टिव बनीं.

Rajni Pandit: भारत की देसी 'शेरलॉक होम्स' कहलाती है ये महिला जासूस, जानें एक आम घर की लड़की कैसे बनी नामी डिटेक्टिव?

नई दिल्ली: भारतीय महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ चुकी हैं, फिर चाहे आर्मी, एयरफोर्स, नेवी हो या पुलिस, लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं काम कर रही हैं. लड़ाकू विमान उड़ाना हो, या अपराधियों का गिरफ्तार करना हो, अपनी हर जिम्मेदारी महिलाएं बखूबी निभाती हैं. ऐसे में आज हम बात कर रहे हैं भारत की पहली प्राइवेट डिटेक्टिव जासूस महिला की, जिन्हें जासूसी के मामले में शेरलॉक होम्स से कम नहीं माना जाता. दरअसल, यहां हम बात कर रहे हैं रजनी पंडित की, जिन्होंने अपनी जिंदगी में लाख मुश्किलों के बावजूद कभी हार नहीं मानी.

  1. रजनी ने किया कई महिलाओं के प्रेरित
  2. रजनी के सामने आई कई मुश्किलें

कौन है रजनी पंडित?

रजनी पंडित का जन्म महाराष्ट्र के पालघर में एक साधारण परिवार में हुआ था. बचपन से ही उनका सपना था कि वह जिंदगी में कुछ करें और अपने दम पर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर में ही एक कंपनी में क्लर्क की नौकरी करना शुरू कर दिया था.

कैसे की जासूस करियर की शुरुआत?

रजनी की नौकरी के दौरान ही उनके साथ ऑफिस में काम करने वाली एक महिला के घर में चोरी हो गई थी. बताया जाता है कि उस महिला ने चोरी की इस गुत्थी को सुलझाने के लिए रजनी से मदद मांगी. वह भी इसके लिए तैयार हो गई. बस फिर क्या था वे कड़ी मेहनत से उनके घर की जासूसी करने लगी. जिससे उन्होंने चोर का पता लगा लिया. चोर कोई और नहीं, बल्कि उस महिला का छोटा बेटा था. सभी सबूतों के साथ उन्होंने उसे फैमिली के सामने पेश किया. जिस समय रजनी ने अपना पहला केस सुलझाया तब वह सिर्फ 22 साल की थीं.

प्रेरणा से बनी जासूस

रजनी को इस केस से जीवन नें आगे बढ़ने के लिए काफी प्रेरणा मिली और 1986 में रजनी ने अपनी एक 'रजनी पंडित डिटेक्टिव सर्विसेज' नाम की एक एजेंसी शुरु कर ली. शुरुआती दौर में उनका भाई विनोद पंडित भी केस सॉल्व करने में मदद किया करता था. रजनी ने 30-40 केसेस एक ही बार में सॉल्व कर लिए, साथ ही उन्होंने डिटेक्टिव बनने के लिए ट्रेनिंग देना शुरु दी. वे 100 से भी अधिक बच्चों को ट्रेन कर चुकी हैं.

सफलता

जब वे डिटेक्टिव करियर में आगे बढ़ रही थीं तब उनके रिश्तेदारों उन्हें बहुत ताने भी दिए, लेकिन इस मुश्किल के सामने हमेशा रजनी के पिता उनके साथ खड़े रहे. पिता के सपोर्ट से वे भारत की पहली महिला डिटेक्टिव बन पाईं, जिन्हें बाद में भारत की शेरलॉक होम्स भी कहा गया.

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