कारगिल युद्ध में इंडियन एयरफोर्स ने ऐसा क्या कर दिया; जिसे आज तक नहीं भुला पाया पाकिस्तान
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कारगिल युद्ध में इंडियन एयरफोर्स ने ऐसा क्या कर दिया; जिसे आज तक नहीं भुला पाया पाकिस्तान

1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमानों ने दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले किए. इस ऑपरेशन से सेना को मजबूती मिली और भारत ने युद्ध में विजय हासिल की. यह साहस और रणनीति का प्रतीक है.

कारगिल युद्ध में इंडियन एयरफोर्स ने ऐसा क्या कर दिया; जिसे आज तक नहीं भुला पाया पाकिस्तान

1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ कारगिल युद्ध भारतीय सैन्य इतिहास का एक अहम अध्याय है. इस युद्ध में भारतीय सेना के साथ-साथ भारतीय वायुसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस अभियान को भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन 'सफेद सागर' नाम दिया था. यह ऑपरेशन ना केवल दुश्मन को जवाब देने का था, बल्कि भारतीय सीमाओं की रक्षा के लिए एक मजबूत कदम भी था. आइए जानते हैं ऑपरेशन सफेद सागर से जुड़ी पूरी जानकारी.

  1. कारगिल युद्ध में वायुसेना की बड़ी भूमिका
  2. मिराज-2000 से दुश्मन के ठिकाने तबाह
  3.  

कारगिल युद्ध की शुरुआत
1999 के मई महीने में जब भारत ने देखा कि नियंत्रण रेखा (LoC) के पास कारगिल, द्रास और बटालिक सेक्टरों में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने घुसपैठ कर ली है, तब भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ने के लिए कार्रवाई शुरू की. शुरुआत में यह सिर्फ थल सेना का अभियान था, लेकिन स्थिति गंभीर होते ही भारतीय वायुसेना को भी शामिल किया गया.

ऑपरेशन सफेद सागर की शुरुआत
26 मई 1999 को भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर की शुरुआत की. इसका मुख्य उद्देश्य ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में घुसे दुश्मनों को एयर स्ट्राइक के जरिए निशाना बनाना था. भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने सेना के जमीनी अभियानों को भी मजबूती दी.

प्रमुख विमानों की भूमिका
इस ऑपरेशन में कई आधुनिक लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया:

मिराज-2000: इस विमान ने सटीक बमबारी कर दुश्मन की पोजीशनों को तबाह किया. इसकी सटीकता और ऊंचाई पर हमला करने की क्षमता युद्ध में गेमचेंजर साबित हुई.

मिग-21 और मिग-27: इन विमानों ने कारगिल के ऊंचे इलाकों में दुश्मनों की सप्लाई लाइन को तोड़ा और बंकर नष्ट किए.

जगुआर: इसने टोही मिशनों में मदद की और दुश्मन की स्थिति की जानकारी सेना को दी.

एयरफोर्स के सामने क्या थी चुनौतियां?

दुश्मन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में था, जिससे उन्हें रणनीतिक लाभ मिला हुआ था.
मौसम और भौगोलिक स्थितियां बेहद कठिन थीं.
भारतीय वायुसेना को आदेश था कि वे नियंत्रण रेखा को पार ना करें, जिससे ऑपरेशन सीमित क्षेत्र में ही रह गया.
फिर भी इन चुनौतियों के बावजूद भारतीय वायुसेना ने बेहतरीन रणनीति और अनुशासन दिखाया.

शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट और अन्य वीरता की मिसालें
ऑपरेशन में कई बहादुर पायलटों ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए मिशन पूरे किए. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अच्युतानंद और फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता जैसे जवानों की बहादुरी को आज भी याद किया जाता है.

नतीजा और भारतीय वायुसेना की सफलता
ऑपरेशन सफेद सागर करीब एक महीने तक चला और इसमें भारतीय वायुसेना ने लगभग 500 से ज्यादा मिशन पूरे किए. उनकी मदद से भारतीय सेना ने दुश्मनों को खदेड़ दिया और 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की.

कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना की भूमिका क्या थी?
भारतीय वायुसेना ने दुश्मन के बंकरों पर हवाई हमले किए और थल सेना को रणनीतिक समर्थन देकर युद्ध में भारत को निर्णायक बढ़त दिलाई.

ऑपरेशन सफेद सागर क्या था?
यह 1999 में भारतीय वायुसेना द्वारा शुरू किया गया एक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य कारगिल में घुसे पाकिस्तानी सैनिकों को हवा से निशाना बनाना था.

कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना ने कौन-कौन से विमान इस्तेमाल किए?
मिराज-2000, मिग-21, मिग-27 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों का उपयोग हवाई हमलों और टोही अभियानों के लिए किया गया था.

क्या भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार की थी?
नहीं, भारतीय वायुसेना को स्पष्ट निर्देश था कि वह LoC पार नी करें. सभी हवाई हमले भारतीय क्षेत्र के अंदर से किए गए थे.

भारतीय वायुसेना ने कारगिल युद्ध में कितने मिशन पूरे किए?
भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत 500 से अधिक हवाई मिशन पूरे किए, जिससे सेना को दुश्मन पर बढ़त मिली.

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