भारतीय सेना को मिलेंगी 809 करोड़ की नई 'टैंक किलर' मिसाइलें, दुश्मन के टैंकों को पल भर में करेंगी ढेर; जानें ताकत
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भारतीय सेना को मिलेंगी 809 करोड़ की नई 'टैंक किलर' मिसाइलें, दुश्मन के टैंकों को पल भर में करेंगी ढेर; जानें ताकत

Tank killer missile India: रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाले PSU भारत डायनामिक्स लिमिटेड को एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों के निर्माण के लिए 809 करोड़ रुपये का एक बड़ा ऑर्डर मिला है. यह ऑर्डर आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड से मिला है.

भारतीय सेना को मिलेंगी 809 करोड़ की नई 'टैंक किलर' मिसाइलें, दुश्मन के टैंकों को पल भर में करेंगी ढेर; जानें ताकत

Indian Army anti tank missile: आधुनिक युद्ध में दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों और टैंकों को नष्ट करना बेहद जरूरी होता है. इसी क्षमता को और बढ़ाने के लिए भारतीय सेना लगातार अपनी एंटी-टैंक क्षमताओं को मजबूत कर रही है. इसी कड़ी में भारत डायनामिक्स लिमिटेड को एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की आपूर्ति के लिए 809 करोड़ रुपये का एक बड़ा ऑर्डर मिला है. इस डील से सेना की युद्ध क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा, जिससे दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों का सामना करना और आसान हो जाएगा.

  1. इंडियन आर्मी को मिलेंगी नई ATGMs मिसाइल
  2. दुश्मनों के टैंक को उड़ाने में माहिर ATGM मिसाइल

सेना को मिलेगी नई 'टैंक किलर' मिसाइलें
इस 809 करोड़ रुपये के ऑर्डर के तहत, भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) भारतीय सेना के लिए एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों का निर्माण करेगा. ये मिसाइलें विशेष रूप से दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद कर्मियों के वाहनों, और अन्य बख्तरबंद ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाने और नष्ट करने के लिए डेवलप की गई हैं.

बता दें, BDL लंबे समय से मिलान-2T और कोंकर्स-एम जैसी एंटी-टैंक मिसाइलों का उत्पादन कर रहा है, और यह नया ऑर्डर सेना के मौजूदा बेड़े को मजबूत करने या उन्हें नई क्षमताओं से लैस करने में मदद करेगा.

क्यों अहम हैं एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें?
एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (ATGMs) आधुनिक युद्ध के मैदान में बेहद महत्वपूर्ण हथियार होती हैं. ये मिसाइलें विशेष रूप से टैंकों के भारी कवच को भेदने के लिए बनाई जाती हैं, जिससे उन्हें 'टैंक किलर' के रूप में जाना जाता है.

साथ ही, इनमें गाइडिंग सिस्टम लगा होता है जो मिसाइल को लॉन्च के बाद भी लक्ष्य की ओर निर्देशित करता है, जिससे लक्ष्य पर सटीक प्रहार की संभावना बढ़ जाती है. वहीं, युद्ध में दुश्मन के बख्तरबंद बल को निष्क्रिय करना एक महत्वपूर्ण रणनीति होती है, और ATGMs इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. साथ ही, इन्हें पैदल सैनिकों द्वारा, वाहनों, हेलीकॉप्टरों और यहां तक कि कुछ विमानों से भी लॉन्च किया जा सकता है.

आत्मनिर्भर रक्षा को मिला बड़ा बूस्ट
भारत अब अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए पूरी तरह से घरेलू उत्पादन पर निर्भर हो रहा है. यह मिसाइलें भारत में ही बनेंगी, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी और देश की विनिर्माण क्षमता बढ़ेगी.

बता दें, यह ऑर्डर आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL) से मिला है, जो भारतीय आयुध कारखाना बोर्ड (OFB) के पुनर्गठन के बाद बने नए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से एक है. AVNL टैंक और बख्तरबंद वाहन T-72, T-90, अर्जुन टैंक और BMP-2 बनाती है. ऐसे में ये मिसाइलें उनके वाहनों को और भी घातक बनाएंगी.

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