इंडियन आर्मी को मिलेगी 'देसी AK-47', रूस के साथ मिलकर भारत में बनेगी ये दो एडवांस राइफलें; जानें पूरा डिटेल
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इंडियन आर्मी को मिलेगी 'देसी AK-47', रूस के साथ मिलकर भारत में बनेगी ये दो एडवांस राइफलें; जानें पूरा डिटेल

Indian Army rifles: भारतीय सेना जल्द ही एक घातक अपग्रेड के लिए तैयार है. मेक इन इंडिया पहल के तहत, भारत और रूस मिलकर दुनिया की दो सबसे एडवांस राइफलों को देश में ही बनाने जा रहे हैं, जो हमारे जवानों को युद्ध के मैदान में अजेय बना देंगी.

इंडियन आर्मी को मिलेगी 'देसी AK-47', रूस के साथ मिलकर भारत में बनेगी ये दो एडवांस राइफलें; जानें पूरा डिटेल

Indian Army AK 19 rifle and PPK 20 submachine gun: भारत अपनी जमीनी सेना की ताकत को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने की तैयारी में जुट चुकी है. इसके लिए रूस के साथ मिलकर, भारत अब दो बेहद आधुनिक स्मॉल आर्म्स- AK-19 कार्बाइन और PPK-20 सब-मशीन गन का अपने देश में ही उत्पादन करने वाला है. इस जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग प्लान का मकसद पुरानी हो चुकी राइफलों को बदलना और भारतीय सेना, पैरामिलिट्री यूनिट्स और पुलिस फोर्सेज को अत्याधुनिक हथियार देना है, जिससे वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहें.

  1. भारत में बनेंगी दो एडवांस राइफलें
  2. दोनों ही सटीक हमले के लिए परफेक्ट

AK-19 और PPK-20 क्यों है अहम?
रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट से करीब से जुड़े मेजर जनरल एसएन शर्मा बताते हैं कि AK-19 और PPK-20 दोनों ही 'स्मॉल आर्म्स' कैटेगरी में बेहतरीन विकल्प हैं. इनका मॉडर्न डिजाइन, मॉड्यूलरिटी यानी अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर बनाना और विश्वसनीयता इन्हें आज के मुश्किल युद्ध के माहौल के लिए परफेक्ट बनाती है.

डिफेंस रिपोर्ट के मुताबिक, AK-19 असाल्ट राइफल की रेंज 500 मीटर रहने वाली है. वहीं,  PPK-20 सब-मशीन गन की रेंज करीब 50 मीटर रहने वाली है. जो क्लोज कॉम्बैक्ट में इंडियन आर्मी को बढ़त देगी.

बता दें, AK-19, मशहूर AK-सीरीज का एक अपग्रेडेड वर्जन है जो 5.56x45mm NATO-कैलिबर का इस्तेमाल करता है. वहीं, PPK-20 एक मॉडर्न सब-मशीन गन है जिसे खासकर क्लोज-क्वार्टर कॉम्बैट यानी कम दूरी की लड़ाई और स्पेशल फोर्स ऑपरेशंस के लिए डिजाइन किया गया है. इन हथियारों के भारत में बनने से भारतीय जवानों की फायरपावर में जबरदस्त इजाफा होगा.

भारत बनेगा रक्षा निर्माण का ग्लोबल हब
यह प्रोजेक्ट सिर्फ हथियारों के उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह 'को-प्रोडक्शन' और 'फुल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर' यानी ToT पर आधारित है.

इसका मतलब है कि रूस न केवल हथियार बनाने की तकनीक भारत को देगा, बल्कि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) भी ट्रांसफर करेगा. यह कदम आत्मनिर्भर भारत की पहल को मजबूती देगा, जिसका मकसद भारत को रक्षा निर्माण का ग्लोबल हब बनाना है.

मेजर जनरल शर्मा के मुताबिक, रूस के साथ बातचीत एडवांस स्टेज पर है, जो इस बात का संकेत है कि दोनों देश इस प्रोग्राम को जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं.

देश-विदेश में बढ़ेगी भारत की धाक
इस जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग प्लान का सीधा असर भारतीय सेना की ताकत पर पड़ेगा. साथ ही, भारत अपने पुराने इंडो-रूसी डिफेंस टाइज और मजबूत मार्केटिंग नेटवर्क का फायदा उठाते हुए इन हथियारों को एशिया, अफ्रीका और दूसरे क्षेत्रों के मित्र देशों को भी निर्यात कर पाएगा.

यह न केवल भारत के लिए रेवेन्यू जनरेट करेगा, बल्कि मेड इन इंडिया हथियारों की धाक दुनिया भर में जमाएगा.

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प्रशांत सिंह

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