समुद्री सीमा को सुरक्षित रखने के लिए इंडियन नेवी को पहली स्वदेशी एंटी एयरक्राफ्ट तोप मिली है. जिसकी मारक क्षमता और रेंज इतनी घातक है कि 15 किमी दूर फाइटर जेट व मिसाइलों को हवा में ही तबाह कर देगी.
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भारतीय नौसेना अब अपनी ताकत को और भी कई गुना बढ़ा रही है. देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए, भारतीय नौसेना को पहली बार स्वदेशी रूप से निर्मित एंटी-एयरक्राफ्ट गन बैरल मिले हैं. यह नई ताकत नौसेना को समुद्री सीमाओं पर दुश्मनों के किसी भी हवाई खतरे का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम बनाएगी. खासकर पाकिस्तान से लगते हुए समुद्री इलाकों में कारगर साबित होंगे. ऐसे में आइए जानते हैं, क्या है इस स्वदेशी SRGM की ताकत और रेंज.
भारतीय नौसेना को मिली नई ताकत SRGM
भारतीय नौसेना ने पहली बार स्वदेशी रूप से निर्मित सुपर रैपिड गन माउंट (SRGM) बंदूक बैरल को अपने बेड़े में शामिल किया है. ये बैरल अब कानपुर में फील्ड गन फैक्ट्री में बनाए जा रहे हैं, जो पहले इटालियन रक्षा फर्म ओटो मेलारा (OTO Melara) से लाइसेंस के तहत आयात या बीएचईएल हरिद्वार में उत्पादित किए जाते थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, नौसेना को दो बैरल पहले ही मिल चुके हैं, और भविष्य के सभी युद्धपोतों को कानपुर में बने संस्करण मिलेंगे. इन स्वदेशी बैरलों को 12 इंजीनियरों की एक टीम ने तीन साल में विकसित किया है. इनके निर्माण से लागत कम होने और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता खत्म होने की उम्मीद है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
क्या है स्वदेशी SRGM की ताकत?
एसआरजीएम एक हाई-स्पीड, मीडियम-कैलिबर नौसैनिक तोप सिस्टम है. यह प्रति मिनट 120 गोले दागने में सक्षम है, जो इसे आधुनिक नौसैनिक युद्ध में एक बेहद प्रभावी हथियार बनाता है. इसका बैरल 4,588 मिमी लंबा है, और यह 76 मिमी के गोले दागने में सक्षम है.
साथ ही यह तेजी से आगे बढ़ते विमानों और मिसाइलों सहित 15 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकता है. इसकी ताकत इसकी तेज फायरिंग और सटीकता में है, जिसकी मदद से यह एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकती है.
आत्मनिर्भरता की ओर नौसेना का बड़ा कदम
यह स्वदेशी उत्पादन भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है, साथ ही 'आत्मनिर्भर भारत' एजेंडे को भी गति दे रहा है.
उत्तरी अरब सागर में यूनाइटेड किंगडम की रॉयल नेवी के साथ बड़े पैमाने पर समुद्री अभ्यास करने से लेकर अपने स्वदेशी शस्त्रागार का विस्तार करने तक, भारतीय नौसेना आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने बीएचईएल हरिद्वार के साथ 16 एडवांस एसआरजीएम सिस्टम व अन्य के लिए 2,956.89 करोड़ रुपये का सौदा भी किया है, जिससे नौसेना की क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी.
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