Kargil War 1999: कैप्टन सौरभ कालिया को 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने बंदी बना लिया और उन्हें बेरहमी से टार्चर कर मार डाला. 24 साल बाद भी उनके परिवार को इंसाफ नहीं मिला है. ये मामला आज भी भारत के लिए एक जख्म की तरह है, जो कभी नहीं भरा.
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Kargil War 1999: कारगिल युद्ध के समय देश के एक बहादुर सिपाही कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बनाकर काफी टार्चर किया था. यह घटना किसी भी इंसान को झकझोर कर रख देती है. 24 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी उनके परिवार और देश को पूरा इंसाफ नहीं मिला है. ये कहानी सिर्फ एक सैनिक की शहादत की नहीं है, बल्कि भारत की उस लड़ाई की भी है जो आज तक इंसाफ के लिए लड़ी जा रही है.
कौन थे कैप्टन सौरभ कालिया?
सौरभ कालिया हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के रहने वाले थे. उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून से ट्रेनिंग ली थी और 1998 में भारतीय सेना की 4 जाट रेजीमेंट में शामिल हुए. मई 1999 में उन्हें कारगिल के बटालिक सेक्टर में पोस्टिंग मिली थी.
कैसे हुए पाक सेना के कब्जे में?
15 मई 1999 को कैप्टन कालिया अपनी पेट्रोलिंग टीम के साथ LOC के पास पहरा दे रहे थे. तभी पाकिस्तान की सेना ने उन पर घात लगाकर हमला किया. गोला बारूद खत्म होने के बाद कैप्टन कालिया और उनके 5 साथी (सिपाही अर्जुन राम, बनवारी लाल, भीखाराम, भंवरलाल और श्याम सिंह) को पाकिस्तान की सेना ने बंदी बना लिया.
टार्चर और बेरहमी
पाकिस्तान ने इन जवानों को करीब 22 दिन तक बंदी बनाकर रखा और इस दौरान उन्हें बेहद टार्चर किया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी आंखें निकाली गई थीं, कान काटे गए थे, हड्डियां तोड़ी गई थीं और कई जगह सिगरेट से जलाया गया था. आखिर में उन्हें गोली मार दी गई और शव भारत को सौंप दिए गए.
परिवार की इंसाफ की लड़ाई
कैप्टन कालिया के पिता एन.के. कालिया ने बेटे की शहादत को लेकर कई बार सरकार से मांग की कि पाकिस्तान के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट में केस चले. उन्होंने UN, मानवाधिकार संगठनों और भारतीय सरकार से अपील की, लेकिन आज तक पाकिस्तान को इस क्रूरता के लिए सजा नहीं मिल पाई.
सरकार की भूमिका और अब तक की स्थिति
भारत सरकार ने कई बार पाकिस्तान को इस मुद्दे पर घेरा, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. 2012 में भारत सरकार ने साफ किया कि यह मामला दो देशों के बीच का है, और इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं ले जाया जाएगा. इससे परिवार के लोग और आम जनता काफी निराश थे.