कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस और शौर्य दिखाया. दुर्गम पहाड़ियों पर लड़ते हुए कई वीर जवान शहीद हुए. उनकी बहादुरी के लिए देश ने उन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया. यह युद्ध आज भी देशभक्ति और बलिदान की सबसे बड़ी मिसाल माना जाता है.
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कारगिल युद्ध 1999 भारत के इतिहास का एक ऐसा अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. मई से जुलाई तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया. ऊंची पहाड़ियों पर लड़ते हुए हमारे कई वीर सैनिक शहीद हुए. देश ने उनकी बहादुरी को सलाम करते हुए उन्हें वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया. आइए जानते हैं उन खास शहीदों के बारे में, जिन्हें इस युद्ध के बाद देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान मिले.
परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद
कैप्टन विक्रम बत्रा (13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स): कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम आज भी हर देशवासी की जुबान पर है. 'ये दिल मांगे मोर' का नारा लगाकर उन्होंने दुश्मनों के ठिकानों पर हमला किया. प्वाइंट 5140 और प्वाइंट 4875 जैसे अहम इलाकों को कब्जे में लिया. अंतिम लड़ाई में दुश्मनों से आमने-सामने लड़ते हुए वे शहीद हो गए. उनकी वीरता के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया.
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय (1/11 गोरखा राइफल्स): लेफ्टिनेंट पांडेय ने खालूबार की पहाड़ियों पर दुश्मनों के कई बंकर नष्ट किए. गोलियों की बौछार के बीच वे लगातार आगे बढ़ते रहे और शहीद हो गए. उन्हें भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव (18 ग्रेनेडियर्स): योगेंद्र सिंह यादव ने प्वाइंट 4875 पर चढ़ाई करते हुए तीन दुश्मन बंकरों पर हमला किया. बुरी तरह घायल होने के बावजूद वे लड़ते रहे और मिशन को सफल बनाया. उनकी बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र मिला.
राइफलमैन संजय कुमार (13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स): राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्मन के ठिकानों पर सीधी गोलीबारी करते हुए प्वाइंट 4875 पर कब्जा करने में अहम भूमिका निभाई. उन्हें भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
महावीर चक्र से सम्मानित वीर
कैप्टन अनुज नायर (17 जत रेजिमेंट): दूसरे पिंपल कॉम्प्लेक्स की लड़ाई में उन्होंने अदम्य साहस दिखाया. दुश्मन के कई बंकर नष्ट कर वे शहीद हो गए. उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
कैप्टन नेइकेाझुको केंगुरसे (2 राजपूताना राइफल्स): बर्फीली पहाड़ियों में बिना जूतों के चढ़ाई कर उन्होंने दुश्मन के बंकर पर हमला किया. गोली लगने के बावजूद वे अंत तक लड़ते रहे. उनकी वीरता के लिए उन्हें भी महावीर चक्र मिला.
वीर चक्र से सम्मानित शहीद
मेजर मरीप्पन सरवनन (बिहार रेजिमेंट): बटालिक सेक्टर में दुश्मनों से लड़ते हुए उन्होंने अद्भुत साहस दिखाया. शहीद होने से पहले उन्होंने कई दुश्मनों को ढेर किया. इसके लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
नाइक कौशल यादव (9 पैरा स्पेशल फोर्सेज): जूलू टॉप की लड़ाई में उन्होंने अपने साथियों की जान बचाई. खुद दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. उनकी बहादुरी के लिए उन्हें वीर चक्र मिला.