जर्मनी में अगर गाड़ी चलते समय पेट्रोल या डीजल खत्म हो जाए, तो इसे कानून का उल्लंघन माना जाता है. खासकर ऑटोबान पर ऐसा होना खतरनाक माना जाता है. ड्राइवर को जुर्माना भरना पड़ता है क्योंकि इसे लापरवाही समझा जाता है, जो दुर्घटना का कारण बन सकती है.
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दुनिया में हर देश के अपने-अपने कानून होते हैं, लेकिन कुछ नियम इतने अजीब होते हैं कि सुनकर ही हैरानी होती है. जर्मनी, जो दुनिया के सबसे विकसित और अनुशासित देशों में गिना जाता है, वहां एक ऐसा कानून है जो कई लोगों को चौंका सकता है. अगर आप जर्मनी की सड़कों पर गाड़ी चला रहे हैं और आपकी गाड़ी का फ्यूल रास्ते में खत्म हो जाए, तो आपको सिर्फ परेशानी ही नहीं झेलनी पड़ती, बल्कि इसके लिए आपको सजा भी मिल सकती है.
क्या है यह कानून?
जर्मनी में एक हाई-स्पीड हाइवे सिस्टम है जिसे 'ऑटोबान' कहा जाता है. यह हाइवे अपने बिना स्पीड लिमिट के लिए जाना जाता है, जहां गाड़ियां बहुत तेज रफ्तार से दौड़ती हैं. ऐसे में वहां सड़क पर किसी भी तरह की रुकावट या खतरा बहुत गंभीर माना जाता है. इसी वजह से अगर किसी वाहन का पेट्रोल या डीजल अचानक खत्म हो जाता है और गाड़ी बीच रास्ते में रुक जाती है, तो इसे ड्राइवर की लापरवाही माना जाता है. जर्मन कानून के अनुसार, यह एक दंडनीय अपराध है.
क्यों है यह नियम जरूरी?
हाई-स्पीड ट्रैफिक: ऑटोबान पर गाड़ियां 200 किमी/घंटा से ज्यादा की रफ्तार से चलती हैं. ऐसे में किसी गाड़ी का अचानक रुक जाना एक बड़ा एक्सीडेंट का कारण बन सकता है.
यातायात की सुरक्षा: इस कानून का मकसद है कि सभी ड्राइवर समय से पहले अपने वाहन की जांच करें और पेट्रोल खत्म होने जैसी लापरवाही न करें.
सार्वजनिक जिम्मेदारी: जर्मनी में माना जाता है कि सड़क पर चलना सिर्फ आपका अधिकार नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है. अगर आपकी वजह से किसी और की जान खतरे में आती है, तो आप दोषी माने जाएंगे.
क्या होती है सजा?
अगर कोई ड्राइवर अपनी गाड़ी को बिना ईंधन के ऑटोबान पर रोक देता है, तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ता है. कुछ मामलों में पुलिस ड्राइवर को अदालत तक भी ले जा सकती है, जहां उसे लाइसेंस निलंबित करने या ट्रैफिक कोर्स करने जैसी सजा भी दी जा सकती है.
भारत और जर्मनी में अंतर
जहां भारत में अगर किसी की गाड़ी रास्ते में बंद हो जाए तो लोग मदद के लिए आगे आते हैं, वहीं जर्मनी में इसे एक गंभीर नियम उल्लंघन माना जाता है. यह अंतर इस बात को दर्शाता है कि कैसे एक विकसित देश सड़क सुरक्षा को लेकर बेहद सख्त होता है.