दुनिया में कई ऐसे हथियार है जिनके एक बार से उनका टारगेट नष्ट हो जाए. वहीं, सबसे खतरनाक हथियारों की जब भी बात आती है तो इसमें पहला नाम आता है परमाणु बम है, जिसके सामने सब फेल हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक हथियार ऐसा भी है जो परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक माना गया है.
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नई दिल्लः जब भी दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों का जिक्र होता है उसमें सबसे पहला नाम 'परमाणु बम' का ही आता है. हर कोई जानता है कि इसके सामने घातक से घातक हथियार फेल हो जाते हैं. हालांकि, शायद ही किसी को इस बात की जानकारी होगी कि दुनिया में एक हथियार ऐसा हथियार भी है, जिसके सामने परमाणु बम भी कम लगता है. दरअसल, यहां हम बात कर रहे हैं 'Rods from God' की, जो हाइपरसोनिक स्पेस वेपन. रॉड्स फ्रॉम गॉड की परिकल्पना पहली बार शीतयुद्ध के वक्त हुई थी, लेकिन अब फिर से यह चर्चा में बना हुआ है.
पैदा कर सकता है परमाणु बम जैसी ऊर्जा
माना जाता है कि यह परमाणु बम जैसी ऊर्जा पैदा कर सकता है, लेकिन रेडियेशन के बिना. हालांकि, इसकी असल क्षमता को लेक सवाल उठते रहे हैं. अमेरिका ने 1950 के दशक में ‘प्रोजेक्ट थॉर’ नाम से एक रिसर्च प्रोग्राम शुरू किया था. इसके तहत योजना बनाई गई थी कि 6 मीटर लंबी टंगस्टन रॉड को अंतरिक्ष की ऑर्बिट से पृथ्वी पर किसी टारगेट पर गिराया जाए. टंगस्टन एक बेहद सख्त और भारी धातु होती है. इस दौरान रॉड हाइपरसोनिक स्पीड यानी करीब 12,000 किमी/घंटा से पहुंचकर काइनेटिक ऊर्जा के जरिए परमाणु बम जैसी तबाही मचा सकती है. इससे ऐसी तबाही हो सकती है कि अगर किसी बंकरों वाली जगह को टारगेट किया जाए तो उन्हें भी यह मिट्टी में मिला देगी.
नए सिस्टम को मिला HRB का नाम
हालांकि, 2003 में एक नया सिस्टम लॉन्च किया गया जिसे 'हाइपरवेलोसिटी रॉड बंडल्स' (HRB) नाम दिया गया. इस सिस्टम की खासियत थी कि इसके जरिए किसी भी टारगेट को सिर्फ 15 मिनट में निशाना बना सकते हैं. वहीं, कुछ रिसर्च में दावा किया गया कि इसक हमला किसी छोटे परमाणु बम जैसा हो सकता है. इसकी वजह से बंकर्स तक तबाह हो सकते हैं. हालांकि, इस हथियार को लेकर जितने सपने सजाए गए, वो धरे के धरे ही रह गए. इसकी एक बड़ी वजह जो निकलकर सामने आई वो थी इसे बनाने में लगने वाले वक्त, पैसा और संसाधन.
अमेरिका ने बनाया था मन
बताया जाता है कि जब इस दमदार हथियार को बनाने की परिकल्पना हुई तो मान लिया गया था कि ये दुनिया का विनाश तक कर सकता है. हालांकि, दूसरी ओर अमेरिकी सेना ने लंबे वक्त से ही इसे तैयार करने का मन बना लिया था, लेकिन अब तक इसका कोई सबूत नहीं मिल पाया है कि कोई भी देश ने इस तरह का कोई हथियार विकसित भी कर पाया है.
चीन ने की थी इस पर स्टडी
इधर, अब चीन की 'नॉर्थ यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना' के रिसर्चर्स ने एक स्टडी में पाया कि हाइपरसोनिक टंगस्टन रॉड्स कंक्रीट सैन्य बंकरों के खिलाफ उतारने में उतनी भी कारगर साबित नहीं होंगी, जितना उन्हें माना जा रहा है. इस रिसर्च में माना गया कि टंगस्टन रॉड्स एक प्वाइंट तक जाने के बाद उतने बड़े पैमाने पर भी नुकसान नहीं पहुंचा सकती, जितनी उम्मीद की जा रही है. ऐसे में अगर ये रॉड्स ज्यादा कारगर नहीं हैं, तो इन्हें खतरनाक हथियार भी नहीं माना जा सकता.
सही नहीं माने गए नतीजे
वहीं, स्टडी के नतीजों को पूरी तरह से सही भी नहीं माना गया. ऐसा इसलिए कहा जा सकता क्योंकि रिसर्चर्स ने सिर्फ कंक्रीट बंगरों के टारगेट पर टंगस्टन रॉड का इस्तेमाल किया. इसके अलावा ये बाकी दूसरी तरह के टारगेट्स पर काफी प्रभावी हो सकती है. इस चाइनीज रिसर्च में सिर्फ हमले के बाद होने वाले गड्ढों की बात हुई है, इसके बावजूद इसे बड़े पैमाने पर तबाही मचाने वाला हथियार माना गया है.
चीन ने की थी टेस्टिंग!
कुछ दावों की मानें तो चीन के वैज्ञानिकों ने 2018 में टंगस्टन रॉड के प्रोटोटाइप के जरिए गोबी रेगिस्तान में टेस्टिंग की. इस दौरान 140 किलो के टंगस्टन रॉड को 4.6 किलोमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से रेगिस्तान में एक टारगेट पर गिराया गया. इसके बाद जहां ये रॉड गिरी, वहां 3 मीटर का गहरा और 4.6 मीटर चौड़ा गड्ढा बन गया. चीन के इस टेस्ट को हथियार तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम माना गया. इस टेस्टिंग के दौरान यह भी साबित हो गया कि अगर हाइपरसोनिक स्पीड से टंगस्टन रॉड से टारगेट किया जाता है, तो यह बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकती है.
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